एक बार की बात है एक गाँव में एक शरारती लड़की रहती थी।उसका नाम रिमझिम था। उसकी शरारतों से सारा गाँव परेशान था।एक दिन शाम को वो अपने सहलियों की साथ नदी किनारे खेलने गयी।
उसकी माँ ने उसे ज़ोर दे कर समझाया की वह नदी किनारे जंगल की तरफ़ नहीं जाएगी।उसने भी अपनी माँ से वादा किया की माँ की बात मानेगी पर खेलते-खेलते वह अपनी सहेलियों के समझाने पर भी जंगल में चली गयी।
उसने कहा उसे कुछ नहीं होगा वह बहुत बहादुर है और वे सब डरपोक ।कुछ दूर जाने पर वह रास्ता भटक गयी और रोने लगी।
रोते रोते उसे अपनी माँ और पिता जी की आवाज़ सुनाई दी।
वह उठ कर आवाज़ की तरफ़ भागी।उसके माता पिता उसी की तरफ़ आ रहे थे। वह अपनी माँ से लिपट कर बहुत रोई। उसने अपनी ग़लती की माफ़ी भी माँगी।
माँ ने उसे गोद में उठा लिया और बहुत प्यार किया।और समझाया कि बड़ों की बात ना मानना बहादुरी नहीं बेफकूफ़ी होती है।
अगर उस की सहेलियों ने गाँव में आ कर उस के बारे में ना बताया होता तो वो आज जंगल में खो जाती।माँ की बात सुन कर उस ने अपनी सहेलियों से माफ़ी माँगी और आगे से अपने से बड़ों का कहना मनाने का वचन दिया।