मुनिया अभी 10 साल की थी और उसके माता पिता गुजर गए थे। मुनिया अपनी दादी के साथ रहती थी जब भी मुनिया दादी को पूछती कि उसके माता पिता कहाँ है तो दादी हमेशा मुनिया को कहती आसमान में जो तारे दिख रहे हैं उनमें से ही तुम्हारे माता पिता है। रोज रात को मुनिया तारे देखती और अपने माता पिता को याद करके उनसे बात करती। दादी की उम्र बहुत हो चुकी थी दादी को लगा कि उनके बाद मुनिया कि देखभाल कौन करेगा तो दादी ने मुनिया के चाचा चाची को बुलाया और उनसे कहा……
दादी: बेटा अब मुनिया की जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर है। मैं अब कुछ ही दिनों की मेहमान हूँ। उम्मीद करती हूँ कि तुम मुनिया को अच्छे से रखोगे।
चाची: हाँ -हाँ माँ हम मुनिया को अच्छे से रखेंगे।
और दादी मुनिया को उसके चाचा चाची के साथ भेज देती हैं। अब मुनिया चाचा चाची के घर चली जाती है। अब चाची उससे बहुत काम कराती हैं। और उसको कहती है….
चाची: अगर तूने अपने चाचा को कुछ भी बोला तो कल से तुझे और भी ज्यादा काम करना पड़ेगा।
अब मुनिया बहुत दुखी हो जाती है और अपने माता पिता को बहुत याद करती है। मुनिया बहुत रोती है लेकिन चाची को मुनिया पर बिलकुल भी दया नहीं आती। एक दिन रात को मुनिया बाहर बैठकर सितारे को देख रही होती है। उस दिन आसमान में एक ही सितारा होता है। और जब मुनिया उस सितारे को देखती है तो मुनिया को लगता है जैसे उस सितारे से मुनिया की माँ बात कर रही हैं। और अचानक वह सितारा जमीन पर आ जाता है और उसकी माँ का रूप ले लेता है।
मुनिया: माँ आप?
माँ: हाँ बेटा मैं।
मुनिया: आप यहाँ कैसे आयीं माँ? और पिताजी कहाँ है? आप लोग मुझे छोड़कर कहाँ चले गए?
माँ: बेटा हम कही नहीं गए हम यहीं हैं तुम्हारे पास।
मुनिया: अब मैं आपको कहीं नहीं जाने दूंगी। आप मेरे ही पास रहोगी।
माँ: नहीं बेटा मैं तुम्हारे पास नहीं रह सकती। लेकिन मैं तुमको ये सितारा देकर जा रही हूँ यह तुम्हारी हमेशा रक्षा करेगा।
और इतना बोलकर मुनिया की माँ वापस आसमान में सितारा बन जाती है। मुनिया बहुत रोती है और रोते-रोते बाहर ही सो जाती है। जब सुबह उसकी नींद खुलती है तो उसके हाथ में सितारा होता है वह जल्दी से जाकर वह सितारा छुपा कर रख देती है। आज मुनिया का जन्मदिन होता है। चाचा मुनिया को बहुत प्यार करते हैं वे मुनिया से पूछते हैं….
चाचा: मुनिया बेटा तुमको आज क्या चाहिए आज तुम्हारा जन्मदिन है न?
मुनिया: हाँ चाचा। लेकिन मुझे कुछ नहीं चाहिए।
लेकिन चाचा नहीं मानते और मुनिया को बाजार लेकर जात्ते हैं उसे नए कपडे और मिठाई दिलाते हैं। मुनिया बहुत खुश होती है उसे बहुत अच्छा लगता है। लेकिन मुनिया की चाची को ये सब बिलकुल अच्छा नहीं लगता। जब मुनिया घर आती है तो चाची उस पर बहुत चिल्लाती है और उससे बहुत सारा काम करवाती है। अब चाची मुनिया के नए कपडे जलाने लगती है लेकिन जैसे ही वह मुनिया के कपडे जलाती है वैसे ही सितारे में से बहुत तेज़ आग निकलती है और चाची के कपडे जलने लगते हैं चाची चिल्लाती है…..
चाची: अरे बचाओ…. बचाओ….
मुनिया आकर देखती है तो चाची के कपड़ों में आग लगी होती है मुनिया जल्दी से पानी लेकर आती है और आग बुझती है। और चाची की बहुत सेवा करती है। यह सब देखकर चाची को अपनी गलती का अहसास होता है। वह मुनिया को कहती है…..
चाची: मुझे माफ़ कर दो। मैंने तुमको बहुत परेशान किया है।
और मुनिया को अपने गले लगा लेती है। मुनिया को समझ आता है कि यह सब सितारे ने किया है। मुनिया रात को सितारे से कहती है कि……
मुनिया: मुझे माँ से मिलना है।
इतना कहते ही मुनिया की माँ मुनिया के सामने आ जाती है।
माँ: क्या हुआ बेटा।
मुनिया: माँ आप ये सितारा ले जाइये। आज इसकी वजह से चाची को अपनी गलती का अहसास हो गया है।
मुनिया की बात सुनकर माँ खुश होती है और उस सितारे को अपने पास रख लेती है। और मुनिया को बहुत सारा प्यार करती हैं और वहाँ से चली जाती है। अब घर में सब बहुत अच्छे से रहने लगते हैं।
मोरल ऑफ़ द स्टोरी:
जैसा मुनिया की चाची करती है ऐसा किसी के साथ नहीं करना चाहिए. क्योकि बुरे कर्मों का फल बुरा ही होता है जैसा चाची के साथ हुआ.