पैसे देने वाला नोट
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एक समय की बात है। सूरज अपने परिवार के साथ गाँव में रहता था। सूरज कभी स्कूल नहीं गया था। पैसों की कमी के कारण वह आने पिताजी के साथ घरों की सफाई का काम करता था। और जो पैसे आते उससे उनका घर का खर्च चलता था। एक दिन सूरज के पिता की तबियत ख़राब हो गयी तो सूरज के पिता ने उससे कहा……
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पिता: सूरज बेटा आज तुम काम पर चले जाओ। मेरी तबियत ठीक नहीं है।
सूरज: जी पिताजी आप चिंता न करें। आप आराम करें मैं आज काम पर अकेला ही चला जाता हूँ।
सूरज इतना बोल कर काम पर चला जाता है। उस दिन पहली तारिख होती है इसलिए जहाँ सूरज काम करता है वहाँ से उसे काम के पैसे भी मिलने वाले होते हैं। काम के बाद वह अपने मालिक से पैसे लेता है। इसके बाद घर वापस आ जाते हैं। घर आने के बाद पिताजी पूछते हैं….
पिता: बेटा पैसे मिल गए?
सूरज: हाँ पिताजी ये लीजिये।
सूरज के पिता पैसे गिनते हैं उन्हें उन पैसों में एक अनोखा नोट दिखाई देता है। वे सूरज से पूछते हैं….
पिता: सूरज ये कैसा नोट है?
सूरज: पता नहीं पिताजी। जैसा मालिक ने मुझे दिया मैंने आपको दे दिया।
इसके बाद पिताजी को लगता है शायद यह नोट भूल से मालिक ने दे दिया होगा। लेकिन वह नोट इतना अजीब होता है तो पिताजी को लगता है इस नोट का क्या मतलब होगा, ये नोट तो यहाँ कोई लेगा भी नहीं। और वे उस नोट को सूरज को खेलने के लिए दे देते हैं। अब सूरज बाहर दोस्तों के साथ खेल रहा होता है तभी वहाँ से आइसक्रीम वाला निकलता है सूरज और उसके दोस्त आइसक्रीम वाले को रोकते हैं….
दोस्त: भैया आइसक्रीम दे दो ।
आइसक्रीम वाला सबको आइसक्रीम दे देता है लेकिन सूरज आइसक्रीम नहीं लेता दोस्त उससे पूछते हैं…..
दोस्त: सूरज तुम आइसक्रीम क्यों नहीं ले रहे हो?
सूरज: मेरे पास पैसे नहीं हैं।
लेकिन जैसे ही सूरज अपनी जेब में हाथ डालता है उसे 10 रूपये मिलते हैं वह आइसक्रीम ले लेता है। उसे लगता है कही से आ गए होंगे।
अब वह घर जाकर अपने माता पिता को बताता है कि उसको जेब में से 10 रूपये मिले। सबको लगता है हो सकता कभी सूरज खुद ही रख कर भूल गया हो। अब ऐसे ही समय निकल जाता है एक दिन सूरज के पापा की ताब्यात जयादा ख़राब हो जाती है। डॉक्टर कहते हैं….
डॉक्टर: आपको इन्हें किसी बड़े अस्पताल में दिखाना पड़ेगा।
सूरज और माँ दोनों परेशान हो जाते हैं कि इलाज के पैसे कहाँ से आएंगे। अब माँ और सूरज पिताजी को लेकर घर जाते हैं और वे जैसे ही अलमारी खोलते है उन्हें उसमें पैसे मिल जाते हैं। वे लोग तुरंत ही पिताजी को लेकर बड़े अस्पताल लेकर जाते हैं। और धीरे धीरे पिताजी ठीक होने लगते हैं। और कुछ ही दिन में पिताजी बिलकुल ठीक हो जाते हैं। बाद में वे अपनी पत्नी को पूछते हैं….
पिता: तुम्हारे पास मेरे इलाज के पैसे कहाँ से आये।
माँ: हमें तो पैसे अलमारी से मिले थे। हमें लगा आपने सम्हाल कर किसी काम के लिए रखें होंगे।
पिता: नहीं मैंने तो नहीं रखे।
अब सब परेशान हो जाते हैं कि ये सब क्या हो रहा है। अब सूरज के पिताजी पुराने मालिक के यहाँ फिर से काम पर जाते हैं तो मालिक पूछता है…..
मालिक: मैंने तुमको जब महीने के पैसे दिए थे उसमें कोई नोट मिला था क्या?
पिता: हाँ मालिक। क्या हुआ।
मालिक: दरअसल वह एक जादुई नोट है। मुझे लगा वो किसी के गलत हाथों में न पड़ जाये।
पिता: मालिक मैं कल काम के लिए आऊंगा तो मैं ले आऊंगा।
मालिक: नहीं अब वह नोट तुम्हारा हो गया। अब मैं उसे वापस नहीं ले सकता। जिन्होंने मुझे वह नोट दिया था उन्होंने कहा था बस ये नोट गलत हाथों में न जाये। अब तुम उस नोट की देखभाल करना और यही बात तुम भी ध्यान रखना।
अब पिताजी को समझ आ जाता है कि उसके घर में पैसे उस नोट के वजह से आ रहे थे। अब पिताजी उस नोट को सम्हाल कर रख देते हैं। और जरुरत के समय उसका उपयोग करते है।