Gareeb Ki Eid | Eid Special | गरीब की ईद | Amir vs Garib | Heart Touching Eid Story । Eid mubarak 21

एक गरीब आदमी अकेला बैठा सोच रहा होता है,

आदमी – क्या करू यार, ईद में सिर्फ ३ दिन बचे है और मेरे पास एक रुपया भी नहीं है, नूरा को क्या जवाब दूंगा। एक काम करता हूँ गुल्लक तोड़ देता हूँ,

ऐसा सोच कर वह एक घर के तरफ जाता है और अंदर पड़े संदूक से एक गुल्लक निकलता है, जैसे ही वह उसको तोड़ने की कोशिश करता है तब उसको कुछ याद आता है।

एक गांव मैं एक गरीब परिवार रहता था। वह परिवार गरीब था लेकिन उस परिवार मैं पैसे की तंगी के साथ खुशियों भरपूर थी। उस परिवार मैं सलीम और उसकी पत्नी सलमा के साथ के एक प्यारी सी बची नूरा रहती थी। जब भी उसके अब्बा घर पर आते वह कहती।

 

नूरा – पापा चलो लाओ आज का टैक्स चलो जल्दी करो।

पापा – अरे साब इस बार छोड़ दो, कल ले लेना आज कोई कमाई भी नहीं हुई। 

नूरा – नहीं नहीं ये बहाने नहीं चलेंगे, चलो चलो निकालो।

 

तो नूरा के अब्बा उसके हाथ में कुछ कागज़ रख दिया करते जिनको वह पैसे मान लेती और अपनी गुल्लक में जमा कर लेती ।

सलमा (हस्ते हुए) – चलो चलो, अब आप हाथ मुँह धो लीजिये में खाना लगा देती हूँ।

वह आदमी सोचता है के किसी से कुछ पैसे उधर मांग लेता हूँ, और ये सोच कर वह गुल्लक उसी चारपाई पर रख कर चला जाता है। कुछ देर बाद दो चोर वहां आते है और उस गुल्लक को उठा कर भाग जाते है।

वह पैदल चलते हुए एक पेड़ के नीचे उसकी जान पहचान का एक व्यापारी खड़ा होता है, वह उसके पास जाता है और कहता है।

 

सलीम – भाईजान सलाम ।

व्यापारी – व-अलैकुम-सलाम सलीम भाई और बताओ सब खैरियत?

सलीम – हाँ भाईजान असल में आपको तो पता है कल ईद है और आज कल थोड़ा काम भी कम है।

व्यापारी – अरे हाँ यही तो हर कोई मेरे पास पैसे मांगने आ रहा है। लोग पहले से क्यों नई जोड़ कर रखते और बताओ क्या मदद करू?

 

सलीम सोचता है के इसने तो पहले ही मन कर दिया अब अगर में पैसे मांगता हूँ तो अपनी खुदकी बेइज़ती करवाऊंगा। ऐसा सोच कर वह कहता है।

 

सलीम – मदद तो कुछ नहीं। मैं सोच यहाँ से निकल रहा था तो सोचा के सलाम बोलता चलू । आ आ और बताओ सब खैरियत।

व्यापारी – अल्लाह का रेहम

सलीम – चलिए खुदा हाफिस

व्यापारी – खुदा हाफिस

 

कुछ दूर एक जंगल मैं वही चोर अपने बॉस को वही गुल्लक दिखा रहे होते है।

और कहते है की जरूर इसमें बहुत पैसा होगा

 

ये सुन का उनका बॉस खुश हो जाता है और गुलक तोड़ने को कहता है।

 

गुंडा – अरे बॉस ये तो हम आपके लिए लाये है।

दूसरा गुंडा – ये नेक काम तो आप ही करो बॉस , आप ही हो हमारे बिग बॉस !! हाँ हाँ हाँ हाँ

 

बॉस – हम्म जरूर,

 

ये कह कर वह गुल्लक को नीचे मार कर तोड़ देता है। लेकिन उस गुल्लक मैं खली कागज़ के इलावा बस एक १०० रुपया का नोट ही होता है।

ये देख कर दोनों गुंडों को गुस्सा आता है, लेकिन बॉस उस गुल्लक से निकले एक खत को उठता है और पड़ने लगता है। जैसे ही वह खत पूरा होता है, बॉस की आँखों से आंसू गिरने लगते है, और वह अपने दोनों चोरों को एक और वैसी ही गुल्लक लाने को कहता है, और कहता है के

 

बॉस – वापसी में एक गुड़िया जरूर खरीद कर आना ।

 

दोनों चोरों को ये अचानक हुए बदलाव का कुछ समझ नहीं आता और वह सोचते है के ऐसा क्या था उस खत में जो हमारा बॉस एक दम से बदल गया। 

 

दूसरी और सलीम अपने एक दोस्त के पास जाता है और अपनी पूरी परेशानी बताता है, लेकिन उसका दोस्त साफ़ तोर पर मन कर देता है।

 

सलीम – अब मैं क्या करू

और वह सामने से आ रही ट्रैन को देखता है और सोचता है के इस से अच्छा तो मैं मर ही जाऊ।

ऐसा सोचते ही वह, ट्रैन के आगे छलांग लगा देता है, और अचानक

 

सलीम – ये मैं क्या सोच रहा हूँ, नहीं नहीं ये काम तो बुज़दिलों का है, अगर आज मुझे कुछ हो गया तो मेरे परिवार का क्या होगा।

 

ये सोचते हुए वह अपने घर की तरफ रवाना हो जाता है।

 

 

गुंडे – आ गए बॉस हम ये लो अपनी गुल्लक अब क्या करना है।

बॉस – अब अपनी जेब से जितने भी पैसे है सब निकाल के इस गुल्लक में डाल दो।

 

गुंडे समझ नहीं पाते के आज उनका बॉस उनसे क्या करवाना चाहता है।

कुछ ही देर में गुल्लक पूरी तरह पैसों से भर जाती है।

 

बॉस – जाओ अब इसको वही पर रख कर आओ। जहाँ से तुमने इसको चुराया था। 

 

ऐसा कहने पर गुंडे उस गुल्लक को ले कर सलीम के घर की और चले जाते है। कुछ देर बाद सलीम को याद आता है उसने एक दफा उसमें १०० रूपये डाले थे ।

 

सलीम – क्यों न उस पैसे से कुछ राशन और चीनी ले आता हूँ घर में कुछ मीठा बना लेंगे।

 

ऐसा सोच कर सलीम घर पर पहुंच जाता है, और गुल्लक के पास राखी गुड़िया को देख कर हैरान होता है। लेकिन वह सोचता है के शायद कोई बच्चा भूल गया होगा। वह गुल्लक को उठाता है और तोड़ देता है। लेकिन जैसे ही गुल्लक टूटती है वह समझ ही नहीं पाता। पूरी गुल्लक पैसों से भरी होती है और जिसके पास एक मिठाई खरीदने के पैसे नहीं होते मानो अब उसके पास वह सब खुशियाँ वापिस आ गई थी। सलीम अपने दोनों हाथ उठा कर कहता है

 

सलीम – या खुदा आपका शुक्र है।

 

कुछ ही देर में सलमा और नूरा घर पहुँच जाती है। सलीम के हाथ में पैसे देख कर सलमा पूछती है

 

सलमा –  या अल्लाह इतने पैसे? कोई चोरी तो नहीं की अपने?

सलमा के पूछने पर सलीम ये सारी बात अपनी पत्नी को बताता है। और कहता है ना जाने ये सब कैसे हो गया क्योकि इस गुल्लक में तो कागज़ ही थे।

ये सब सुन कर नूरा कहती है।

 

अब्बू – वो कागज़ नहीं थे। मैंने अल्लाह को एक खत भी लिखा था। उसमें लिखा था।

 

 

“मेरे प्यारे अल्लाह,

 

मुझे मालूम है। मेरे अब्बा मुझे कागज़ के टुकड़े देते है और कहते है के ये मेरी कमाई है। मै ये कागज़ देख कर इसलिए खुश हो जाती हूँ, कहीं उनको ये न लगे के वह पैसे से तंग है। मुझे यकीन है आप पर एक दिन आप ये सब कागज़ के टुकड़ो को पैसों मैं बदल दोगे और मुझे एक गुड़िया इस ईद पर जरूर दोगे” – नूरा

 

 

तो देखा अपने जिस मुराद मैं सच्चाई होती है वह हमेशा पूरी होती है। आपको हमारी कहानी कैसी लगी कमेंट सेक्शन मैं कमेंट जरूर करे और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलिए। फिर मिलेंगे एक और कहानी के साथ तब तक के लिए – धन्यवाद और ईद मुबारक ।

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