पोल खुल गई : असम की लोक कथा | Pol Khul Gai Folk Tale Of Assam In Hindi
पोल खुल गई : असमिया लोक-कथा
एक बार किसी मौलवी को उसके मुरीद ने खाने पर बुलाया।
शाम का वक़्त मुक़र्रर था. मौलवी बाक़ायदा तैयार होकर मेज़बान के घर पहुँच गए. सला सलाम-दुआ करके मेज़बान ने उन्हें घर के भीतर बुलाया. मौलवी उसकी दहलीज को पार करने के दौरान मौलवी अचानक चिल्लाने लगा-ऐ हट, हट, हट। इस पर घबराए मेजबान ने सहमते हुए मौलवी से पूछा- “मौलवी साहब क्या हुआ? आप अचानक किसे हटने को कह रहे हैं?”। मौलवी गंभीरता से बोला- “अरे नहीं-नहीं, कुछ नहीं घबराओ मत बरखुर्रदार, मक्का के पाक काबा में मैंने एक नामुराद कुत्ते को घुसते हुए देखा, उसे ही भगा रहा था.”
यह सुनकर मेजबान दंग रह गया। वह सोचने लगा कि मौलवी साहब कितने रूहानी ताकत वाले हैं कि वे हजारों मील दूर मक्का तक साफ देख सकते हैं।
उसने ये बात अपनी बीवी को बताई और कहा, “रूहानी ताक़त वाले मौलवी की ख़ातिरदारी में कोई कमी न रहे.”
मेज़बान की बीवी को अपने शौहर की बात पर यकीन नहीं हुआ. उसे लगा, ज़रूर मौलवी ढोंग कर रहे हैं.
खाना परोसते वक़्त उसने मौलवी की थाली में सालन को चांवल के नीचे इस तरह डाल दिया कि थाली में बस चांवल ही दिखाई पड़े. सबने जब खाना शुरू किया, तो मौलवी ने देखा कि सबकी थाली में चांवल और सालन दोनों है, जबकि उसकी थाली में बस चांवल है.
वह इधर-उधर देखने लगा, तो मेज़बान ने पूछा, “मौलवी साहब, क्या बात है? आप खाना शुरू क्यों नहीं कर रहे? क्या आपको और कुछ चाहिए?
मौलवी बोला, “मुझे सालन परोसा नहीं गया है.”
मेज़बान की बीवी वहीँ खड़ी थी, फौरन बोल पड़ी, “मौलवी साहब, आप तो यहाँ से हजारों मील दूर मक्का तक देख लेते हैं. थाली में चांवल के नीचे परोसा सालन आपको दिखाई नहीं दिया.”
यह सुनकर मौलवी झेंप गया. इस तरह मेज़बान की बीवी ने मौलवी की रूहानी ताक़त की पोल खोल दी.