सुनैना गाँव की बहुत ही शरारती और दयालु लड़की थी, उसे जानवरों ऐव पक्षियों से बहुत लगाव था, वह जहाँ भी लावारिस पशु या पक्षी को देखती उसी समय उनकी मदद करती।
एक दिन सुनैना ने एक घायल चिड़ियाँ देखी तो वह चिड़ियाँ को ले कर घर आ गयी चिड़ियाँ ने सुनैना से कहा : “प्यारी सुनैना मेरा नाम मंगू है, मैं बूढ़ी हो गई हूँ, इसीलिए मेरे मालिक ने मुझे घर के पिंजरे से बाहर निकल दिया और मेरी जगह दूसरी चिड़ियाँ को पाल लिया, तुमने मुझे घर में जगह दे कर मेरी बहुत मदद की है मैं आपका दिल से धन्यवाद करती हूँ“।
सुनैना बोली : “मंगू तुम डरो नहीं आराम से रहो, देखो यहाँ तुम्हारे जैसे कई पक्षी और जानवर है, जो अब तुम्हारे मित्र बनेगे।
मंगू ने देखा चारो तरफ देखा काफी घायल और बीमार जानवर आराम कर रहे थे और सुनैना सभी की सेवा कर रही थी।
रमी कुत्ते का पैर किसी गाड़ी वाले की वजह से टूट गया था और वो ज़ोर ज़ोर से रो रहा था :“भो भो, पैर बहुत दर्द कर रहा है, भला हो सुनैना का नहीं तो मैं कमज़ोर कैसे कर पाता कोई काम, शायद मैं भूखा ही मर जाता“
शीला गाय कई दिनों से भूखी थी और कराह रही थी :
‘मैं भूखी थी, अगर दीदी हमारी मदद ना करती तो मैं भी शायद भूखी ही मर जाती“
सुनैना सभी की सेवा कर रही थी, मंगू सुनैना का सेवा देख कर बहुत खुश हुआ ,धीरे धीरे सभी जानवर वहां से ठीक हो कर चले गए पर रमी, चीकू और शीला ने हमेशा सुनैना के पास ही रहने का निर्णय ले लिया।
मंगू रोज़ सुबह सुनैना को देश विदेश की नई नयी बाते बताती, शीला सुनैना को ताज़ा दूध देती, और रमी सुनैना की रक्षा करता। सुनैना को महसूस ही न होता की वो बिना माँ बाप के एक अनाथ लड़की है। सब कुछ अच्छा चल रहा था, कि अचानक एक दिन गाँव में भयंकर आग लग गई, सारा गाँव जल गया फिर वह बाढ आ गई और पानी के साथ बह कई भयंकर जल जीव भी गांव में आ गए।
उसी बाढ़ में बहता हुआ एक भयंकर मगरमच्छ, सुनैना के घर तक पहुंच गया और उसने वहाँ पहुँचते ही शीला गाय का पैर दांतो में जकड़ लिया
शीला चिल्लाने लगी :
“बचाओ बचाओ कोई तो आओ , ,मुझे बचाओ
बचाओ बचाओ कोई तो आओ , मुझे बचाओ”
मंगू सब देख रही था उसने रमी से कहा :तुम मगरमच्छ के पास जाओ और कहो कि वो शीला को छोड़ दे और तुम्हे खा ले, रमी को बहुत गुस्सा आया पर फिर उसने सोचा मंगू ने जरूर कुछ सोच के कहा होगा। वह मगरमच्छ से बोला : “अरे दोस्त, तुम क्या इस बूढी- सुखी गाय को खाना चाहते हो , अरे ताक़तवर बनना है तो मुझे खाओ।“
मगरमच्छ ने हैरानी से उसे देखा और गाय को छोड़ उसे पकड़ लिया और शीला वहाँ से भाग गई।
अभी वो रमी को खाना ही चाहता था की मंगू के कहे अनुसार
सुनैना वहां गयी और बोली : “महान मगर मच्छ राज !अरे एक कुत्ते को खाना आपको शोभा नहीं देता खाना है तो मुझे खाओ.”
मगर मच्छ फिर असमंजस में पड़ गया और, उसने रमी को भी छोड़ दिया और सुनैना पर झपट्टा मारे ,इससे पहले ही मंगू वहां आ गया और बोला : “अरे नहीं- नहीं मगर मच्छ राज़ ,इस लड़की को मत खाना इसे दया करने की बुरी बीमारी है ,अगर वह तुम्हे भी हो गयी तो भूखे ही मर जाओगे , तुम्हारे लिए अच्छा यही है की, मुझे पकड़ कर खाओ।“
मगर मच्छ सुनैना की बीमारी का सुन बहुत डर गया ,फिर दुविधा में पड़ गया और उसे छोड़ मंगू की तरफ बढ़ा , मंगू उसे बोला आओ तुम्हे साफ़ सुथरी जगह ले चलती हूँ वहाँ राजा की तरह मुझे खाना। वही तुम्हे शोभा देता है और अपने पीछे आने को कह, उड़ती- उड़ती उसे वापस उसके घर, बड़ी नदी में छोड़ आइ
शिक्षा- हमे अच्छाई का बदला अच्छाई से देना चाहिए, और कठिन परिस्थिति में भी अपनो को नहीं छोड़ना चाहिये।