एक समय की बात है एक ऊँट और उसका बच्चा बातें कर रहे थे। बातों-बातों में ऊँट के बच्चे ने ऊँट से पूछा
ऊँट के बच्चे- पिताजी मैं बहुत दिनों से एक बात सोच रहा हूँ क्या मैं आपसे वे बाते पूछ सकता हूँ
ऊँट- हाँ हाँ बेटा, जरुर पूछो बेटा। मुझसे जितना बन पड़ेगा मैं जरुर जवाब दूंगा।
ऊँट के बच्चे- पिताजी, हम ऊँटो की पीठ पर कूबड़ क्यो होता हैं
ऊँट- बेटा हम सभी रेगिस्तान में रहने वाले जीव है। हमारे पीठ में कूबड़ इसलिये हैं ताकि हम इसमें पानी जमा करके रख सके इससे कई दिनों तक बिना पानी के रह सकते हैं।
ऊँट के बच्चे(दूसरा प्रश्न पूछा)- अच्छा, और ये हमारे पैर इतने लंबे और पंजे गोलाकार क्यों होते हैं
मैं ने तुम्हे पहले ही बताया है कि हम रेगिस्तान के जीव है। यहाँ की भूमि रेतीली होती है और हमे रेतीली कि भूमि पर चलना पड़ता है लंबे पैर और गोलाकार पंजे के कारण हमें रेत में चलने में आसानी होती हैं।
ऊँट का बच्चा- अच्छा, मै हमारी पीठ में कूबड़, लंबे और गोलाकार पंजो का कारण तो समझ गया। लेकिन हमारी घनी पलको का क्या कारण है मैं समझ नही पाता। इन घनी पलको के कारण कई बार मुझे देखने में भी परेशानी होती है। ये इतनी घनी क्यों हैं।
ऊँट- बेटे ये पलकें हमारी आँखो की रक्षाकवच हैं ये रेगिस्तान की धूल से हमारी आँखो की रक्षा करते हैं।
अब मुझे समझ आ गया कि हमारी ऊँट में कूबड़ पानी जमा कर रखने लंबे पैर और गोलाकार पंजे रेतीली भूमि पर आसानी से चलने और घनी पलके धूल से आँखो की रक्षा करती हैं ऐसे में हमें तो रेगिस्तान में होना चाहिये ना पिताजी, फिर हम लोग इस चिड़ियाघर में क्यो हैं
शिक्षा(Moral of The Story)–
प्राप्त ज्ञान, हुनर और प्रतिभा तभी उपयोगी हैं, जब आप सही जगह पर हैं. अन्यथा सब व्यर्थ है। कई लोग प्रतिभावान होते हुए भी जीवन में सफ़ल नहीं हो पाते क्योंकि वे सही जगह क्षेत्र पर अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल नहीं करते. अपनी प्रतिभा व्यर्थ जाने मत दें।
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किसान की घड़ीः प्रेरणादायक कहानी
Inspirational Story About Power of Silence in hindi
एक बार की बात हैं एक किसान अपने खेत के पास बने अनाज की कोठी में काम कर रहा था काम करते समय उसकी घड़ी कहीं खो गयी वह घड़ी उसके पिता ने उसे उपहार के रुप मे दी थी। इस वजह उससे उसका भावनात्मक लगाव था।
उसने घड़ी ढूंढने की बहुत कोशिश की कोठी का हर कोना छान मारा परन्तु घड़ी नही मिली हार कर वह कोठी से बाहर आ गया वहाँ उसने कुछ बच्चो को खेलते हुये देखा।
उसने बच्चो को अपने पास बुलाया और उन्हें पिता की घड़ी खोजने के काम मे लगा दिया। घड़ी ढूंढ निकालने पर ईनाम देने की भी घोषणा कर दी। ईनाम के लालच में बच्चे तुरंत मान गये।
बच्चे कोठी के अन्दर गये और घड़ी को खोजने मे लग गये इधर-उधर, यहाँ-वहाँ हर जगह खोजने के बाद भी घड़ी नही मिली बच्चे थक गये और उन्होने भी हार मान ली
किसान भी अब घड़ी मिलने की आश खो चुका था। बच्चो के जाने के बाद वह कोठी में उदास बैठा था तभी एक बच्चा उसके पास आया और किसान से बोला कि वह एक बार फिर से घड़ी ढूंढने की कोशिश करना चाहता था किसान ने हाँ कर दी।
बच्चा कोठी के अन्दर गया और थोड़े ही समय में वह बाहर आ गया उसके हाथ मे किसान की घड़ी थी जब किसान ने वह घड़ी देखी तो बहुत खुश हुआ उसे आश्चर्य हुआ कि जिस घड़ी को ढ़ूंढने में सब नाकामयाब रहे, उसे उस बच्चे ने कैसे ढूंढ लिया
पूछने पर बच्चे ने बताया कि कोठी के भीतर जाकर वह चुपचाप एक स्थान पर खड़ा हो गया और सुनने लगा शांति में उसे घड़ी की टिक-टिक की आवाज सुनाई दी और उस आवाज की दिशा में खोजने पर उसे वह घड़ी मलि गयी।
किसान ने बच्चे को शाबाशी दी और ईनाम देकर विदा किया।
शिक्षा(Moral of The Story)–
शांति हमारे मन और मस्तिष्क को एकाग्र करती है और यह एकाग्र मन:स्थिति जीवन की दिशा निर्धारित करने में सहायक है. इसलिए दिनभर में कुछ समय हमें अवश्य निकलना चाहिए, जब हम शांति से बैठकर मनन कर सकें. अन्यथा शोर-गुल भरी इस दुनिया में हम उलझ कर रह जायेंगे. हम कभी न खुद को जान पायेंगे न अपने मन को. बस दुनिया की भेड़ चाल में चलते चले जायेंगे. जब आँख खुलगी, तो बस पछतावा होगा कि जीवन की ये दिशा हमने कैसे निर्धारित कर ली? हम चाहते तो कुछ और थे. जबकि वास्तव में हमने तो वही किया, जो दुनिया ने कहा. अपने मन की बात सुनने का तो हमने समय ही नहीं निकाला।
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चार मोमबत्तियाः प्रेरणादायक कहानी
दोस्तो, आज हम इस पोस्ट में चार मोमबत्तियों की एक प्रेरणादायक कहानी आप के साथ साझा करगें। यह कहानी हमें जिन्दगी में आशा का दामन न छोड़ने की शिक्षा देती हैं। तो आइये पढ़ते हैं
रात्रि का समय था चारो गहरा अंधेरा छाया हुआ था। केवल एक ही कमरा प्रकाशित था वहाँ चार मोमबत्तियाँ जल रही थी।
चारों मोमबत्तियाँ एकातं देखकर आपस में ही बातें करने लगी
पहली मोमबत्ती- मैं शांति हूँ। जब मैं इस दुनिया को देखती हूँ तो बहुत दुःख होती है। चारो ओर आपा-धापी, लूट-खसोट और हिंसा का बोलबाला है। ऐसे में यहाँ रहना बहुत कठिन है मैं अब यहाँ और नही रुक सकती
इतना कहकर मोमबत्ती बुझ जाती हैं।
दूसरी मोमबत्ती(अपने मन की बात कहने लगी)-मैं विश्वास हूँ। मुझे लगता है कि झूठ, धोखा, फरेब बेईमानी मेरा अस्तित्व नष्ट करती जा रही है। यह स्थान अब मेरे लायक नही रहा। मैं भी जा रही हूँ
इतना कहकर दूसरी मोमबत्ती भी बुझ जाती हैं।
तीसरी मोमबत्ती(दुःखी हो कर बोला)- मैं प्रेम हूँ। मैं हर किसी के लिये हस समय जल सकती हूँ लेकिन अब किसी के पास मेरे लिये समय ही रहा स्वार्थ और नफरत का भाव मेरी जगह ले चुका है। लोगों के मन में अपनों के प्रति भी प्रेंम की भावना नही रही अब ये सहना मेरे बस की बात नही मेरे लिये जाना ही ठीक रहेगा।
यह कहकर तीसरी मोमबत्ती भी बुझ जाती हैं।
तीसरी मोमबत्ती बुझी ही थी कि कमरे में एक बच्चा आता है। मोमबत्तियों को बुझा हुआ देख कर उसे बहुत दुःख होता है उसकी आँखों से आँसू बहने लगते दुःखी मन से बोला
बच्चा- इस तरह बीच में ही मेरे जिन्दगी के अंधेरा कर कैसे जा सकता हो तुम सब तुम्हे तो अंत तक पूरा जलना था लेकिन तुमने मेरा साथ छोड़ दिया अब मैं क्या करुँगा
बच्चे की बात सुन कर चौथी मोमबत्ती बोली
चौथी मोमबत्ती- घबराओ नही बच्चे मैं आशा हूँ और मैं तुम्हारे साथ हूँ जब तक मैं जल रही हूँ तुम मेरी लौ से दूसरी मोमबत्तियों को जला सकते हो।
चौथी मोमबत्ती की बात सुनकर बच्चे का बल मिलता है उसने आशा से शांति, विश्वास और प्रेम को पुनः जला लिया था।
शिक्षा(Moral of The Story)–
जीवन में समय एक सा नहीं रहता. कभी उजाला रहता है, तो कभी अँधेरा. जब जीवन में अंधकार आये, मन अशांत हो जाये, विश्वास डगमगाने लगे और दुनिया पराई लगने लगे. तब आशा का दीपक जला लेना. जब तक आशा का दीपक जलता रहेगा, जीवन में कभी अँधेरा नहीं हो सकता. आशा के बल पर जीवन में सबकुछ पाया जा सकता है. इसलिए आशा का साथ कभी ना छोड़े|
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Chidiya Ki Kahani
एक बार की बात हैं एक गाँव में एक किसान रहता था। उसका गाँव के बाहर एक छोटा सा खेत था। एक बार फसल बोने के कुछ समय बाद ही उसके खेत में चिड़िया ने घोंसला बना लिया कुछ दिन बीत गये तो चिड़िया ने वहाँ दो अंडे दिये उन अंडो में से दो छोटे-छोटे बच्चे निकल आते हैं वे बड़े मजे से उस खेत में अपनी जिन्दगी जी रहे थे। कुछ महीनो के बाद फसल कटने का समय आ गया गाँव के सभी किसान अपने खेतों की फसल कटाई मे लग गये। अब चिड़िया और उसके बच्चो का वह खेत छोड़कर नयी जगह जाने का वक्त आ गया था।
एक बार चिड़िया के बच्चो ने किसान से किसी को कहते सुना कि कल मैं फसल कटाई के लिये अपने पड़ोसी से पूछूंगा औऱ उसे खेत मे भेजूँगा यह बात सुनकर चिड़िया के बच्चे बहुत परेशान हो गये। उस वक्त चिड़िया कही दूसरी जगह गयी थी। जब वह वापस आई तो तो बच्चो ने उसे किसान की बात बताते हुये कहा
चिड़िया के बच्चे- माँ आज हमारा इस खेत मे आखिरी दिन है रात में हमें दूसरे स्थान के लिये यहाँ से निकलना पड़ेगा।
चिड़िया- इतनी जल्दी नही मेरे बच्चो मुझे नही लगता की कल खेत मे कटाई होगी।
चिड़िया बात सच निकली दूसरे दिन किसान का पड़ोसी खेत में नही आया और कटाई नही हुई।
संध्या के समय किसान अपने खेत मे आया और खेत को जैसे का तैसा देक बड़बड़ाने लगा कि ये पड़ोसी नही आया ऐसा करता हूँ कल अपने किसी रिश्तेदार को भेज देता हूँ।
चिड़िया के बच्चो ने फिर से किसान की बात सुन ली और परेशान हो गये और यही बात जब चिड़िया को उन्होने बताई तो वह बोली
चिड़िया- तुम लोग फ्रिक मत करो। आज रात हमे जाने की जरुरत नही है। मुझे नही लगता की किसान का कोई रिश्तेदार आयेगा।
ऐसा ही हुआ किसाना का कोई रिश्तेदार अगले दिन खेत में नही आया। चिड़िया के बच्चे यह देख कर हैरान थे की माँ की हर बात सही कैसे हो रही है।
अगली शाम किसान जब खेत आया तो खेत की वैसी ही स्थिति देखकर बड़बड़ाने लगा कि ये लोग तो कहने के बाद भी कटाई के लिये नही आते है। कल मैं खुद आकर फसल की कटाई करुँगा।
चिड़िया के बच्चो ने किसान की यह बात भी सुन ली। अपनी माँ को जब उन्होने यह बताया तो वह बोली
चिड़िया- मेरे बच्चो अब वक्त आ गया है ये खेत छोड़ने का हम आज रात ही खेत छोड़कर दूसरी स्थान चले जायेंगे।
दोनो बच्चे हैरान थे कि इस बार ऐसा क्या है जो माँ खेत छोड़ने को तैयार हो गयी उन्होने पूछा तो चिड़िया बोली- मेरे प्यारे बच्चो पिछली दो बार किसान कटाई के लिये दूसरो पर निर्भर था दूसरो को कहकर उसने अपने काम से पीछा छूड़ा लिया था लेकिन इस बार ऐसा न हुआ इस बार उसने यह जिम्मेदारी अपने कंधो पर ले ली है इसलिये वह जरुर आएगा।
उसी रात को चिड़िया और उसके बच्चे उस खेत से उड़ गया और कही और चले गये।
शिक्षा(Moral of The Story)–
दूसरों की सहायता लेने में कोई बुराई नहीं है. किंतु यदि आप समय पर काम शुरू करना चाहते हैं और चाहते हैं कि वह समय पर पूरा हो जाये, तो उस काम की ज़िम्मेदारी स्वयं लेनी होगी. दूसरे भी मदद उसी की करते हैं, जो अपनी मदद करता है।
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जो चाहोगे सो पाओगेः प्रेरणादायक कहानी
एक बार की बात है एक साधु घाट किनारे अपना डेरा डाले हुये था। वहाँ वह धुनी जमा कर दिन भर बैठा रहता और बीच-बीच में ऊँटी आवाज से चिल्लाता
साधु- जो चाहोगे सो पाओगे।
उस रास्ते से गुजरता वो लोग उसे पागल समझते थे। वे उसकी बात सुनकर अनुसना कर देते और जो सुनते, वह सब उसके ऊपर हँसते थे।
एक दिन एक बेरोजगार युवक उसी रास्ते से गुजर रहा था साधु की आवाज उसके कानों में पड़ी जो चाहोगे सो पाओगे जो चाहोगे सो पाओगे।
ये वाक्य सुनकर वह युवक साधु के पास गया और उससे पूछने लगा
युवक- बाबा आप बुहत देर से जो चाहोगे सो पाओगे चिल्ला रहे हो क्या सच में मुझे वो दे सकते हो, जो मैं पाना चाहता हूँ।
साधु बोला- हाँ बेटा, लेकिन पहने तुम मुझे ये बताओ कि तुम क्या चाहते हो
युवक- बाबा मैं चाहता हूँ कि एक दिन मे हीरो का बड़ा व्यापारी बनूँ क्या आप मेरी यह इच्छा पूरी कर सकते हो।
साधु- हाँ बेटा, मैं तुम्हें एक हीरा और एक मोती देता हूँ उससे तुम जितने चाहे हीरे-मोती बना लेगा
साधु की बात सुनकर युवक की आँखो में चमक आ गयी।
फिर साधु ने युवक को दोनो हाथ आगे बढ़ाने के लिये कहा यवुक ने अपने हाथ साधु के सामने कर दिये। साधु ने पहले उसकी एक हथेली पर अपना हाथ रखा और बोला
साधु- बेटा ये दुनिया का सबसे अनमोल हीरा है इसे समय कहते हैं जोर से मुठ्ठी में जकड़ लो इसके द्वारा तुम जितने चाहे उतने हीरे बना सकते हो इसे कभी अपने हाथ से निकलने मत देना।
फिर साधु ने अपना दूसरा हाथ युवक की दूसरी हथेली पर रखकर कहा
साधु- बेटा ये दुनिया का सबसे कीमती मोती हैं इसे धैर्य कहते हैं जब किसी कार्य में समय लगाने के बाद भी मनचाहा परिणाम नही मिलता हो तो इस धैर्य नामक मोती को धारण कर लेना यदि यह मोती तुम्हारे पास है तो तुम दुनिया में जो चाहो वो पा सकते हो।
युवक ने साधु की बात ध्यान से सुनी और उन्हें शुक्रिया कर वहाँ से चल पड़ा उसे सफलता प्राप्ति के दो गुरुमंत्र मिल गए थे उसने यह सुनिश्चय किया की वह कभी अपना व्यर्थ नही गंवायेगा और हमेशा धैर्य से काम लेगा।
कुछ समय बाद उसने हीरे के एक बड़े व्यापारी के यहाँ काम करना प्रारंभ किया कुछ सालों तक वह दिल लगाकर व्यवसाय का हर गुण सीखता रहा औऱ एक दिन अपनी मेहनत और लगन से अपना सपना पूरा कर लिया और हीरे का बहुत बड़ा व्यापारी बना
शिक्षा(Moral of The Story)–
लक्ष्य प्राप्ति के लिए सदा ‘समय’ और ‘धैर्य’ नाम के हीरे-मोती अपने साथ रखें. अपना समय कभी व्यर्थ ना जाने दें और कठिन समय में धैर्य का दामन ना छोड़ें. सफ़लता अवश्य प्राप्त होगी।
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