Jiski lathi oski bhains | Hindi moral stories

एक समय की बात है एक किसान था जो कुंदनपुर नामक गांव में रहता था। उसकी उम्र हो चुकी थी जिसके कारण उससे खेती का काम नहीं होता था इसलिए उसने सोचा की क्यों न वह अपनी खेती की ज़मीन और अपनी भेंस को बेच देगा।  उससे जो पैसा आएगा उससे वह कोई नया काम शुरू कर लेगा।

 

अगले दिन उसने पूरे गांव में चर्चा फैला दी की वह अपनी ज़मीन  बेचना  चाहता है और उसे कोई उसकी ज़मीन को खरीदने वाला चाहिए। एक महीने के अंदर उसे कोई उसकी ज़मीन को खरीदने के लिए मिल जाता है। उसे वह अपनी ज़मीन बेच देता है।

 

अब उसे बस अपनी भेंस को बेचना था। पर उसे कोई आदमी नहीं मिल रहा था जो उससे उसकी भेंस को खरीदले। किसान ने बहुत कोशिश की अपनी भेंस को बेचने कि पर वह नहीं बेच पाया। 

 

एक दिन किसान को किसी से पता चला की शहर में मेला लग रहा है। यह सुनकर किसान के दिमाक में एक विचार आता है की क्यों न वह अपनी भेंस को मेले में जाकर बेचे।

 

अगले दिन वह मेले में अपनी भेंस को बेचने के लिए गया। रास्ते में उसका सामना एक डाकू से होता है। वह डाकू उसे कहता है ” अपनी भेंस को मेरे हवाले कर दे , वरना मै इस लाठी से तुम्हारा सर फोड़ दुगा “। यह सुनकर किसान दर गया और उसने अपनी भेंस डाकू के हवाले करदी। पर जैसे ही डाकू अपना हाथ भेंस को पकड़ने के लिए आगे बढ़ाता है उससे उसकी लाठी  गिर जाती है। जैसे ही उसकी लाठी ज़मीन पर गिरती है किसान लाठी उठाकर डाकू को वैसे ही डराकर भगा देता है और  अपनी भेंस उससे वापस ले-लेता है। फिर वो अपनी भेंस को लेकर मेले मेँ जाकर बेच आता है।

 

अब उसके पास बहुत ज़ादा धन होता है जिससे वो एक नया काम शुरू करता है और अपनी आगे की ज़िन्दगी गुज़ारता है।  

 

 

 

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