जादुई गुफाएँ
दो जादुई गुफाएँ गोपालपुरी नामक गाँव में सोनिया और सुमन नाम की दो सहेलियाँ रहती थी। सुमन अपने माता पिता के साथ बहुत ही छोटी से मकान में रहती थी। वही सोनिया बहुत ही बड़े घर में रहती थी और बहुत अमीर थी सुमन बहुत ही अच्छी और ईमानदार लड़की थी सोनिया बहुत ही घमण्डी और लालची लड़की थी परन्तु फिर भी वे दोनों बहुत ही अच्छे दोस्ते थे।
वे दोनों साथ में ही स्कूल जाते। और साथ में ही घर आते स्कूल से आने के बाद दोनों रोज शाम को पार्क घूमने जाते थे फिर एक दिन सुमन सोनिया से कहती है
सोनिया – तुम्हें पता है हमारे गाँव के बाहर वाले जंगल में कोई गुफा है और मैंने सुना है जो कोई भी उस गुफा में जाता है वो वापस लौट कर नहीं आता।
सुमन – ये सब कहने की बातें है ऐसा कुछ भी नहीं है चलो हम आज ही उस गुफा के पास घुमने जाते है
सोनिया –अच्छा तुम कहती हो तो चलते है
फिर अगले दिन सुबह-सुबह सोनिया और सुमन उस गुफा की ओर घूमने चल पड़ते है। थोड़ी दूर चलने के बाद उन्हें दो जादुई नजर आता है।
सुमन – देखा सोनिया यहाँ दो गुफा है हमें कौन से गुफा में जाना चाहिए।
सोनिया –अरे मुझे क्या पता
सुमन और सोनिया दोनों ये सोच ही रही थीं कि कौन सी गुफा में जाये तभी वहां एक परी प्रकट हुई। और कहती है
परी – हा.हां..हा… मेरे इस जादुई जंगल में तुम दोनों का स्वागत है। और जैसे कि तुम देख सकती हो तुम्हारे सामने दो गुफा है एक गुफा अच्छाई का और दूसरा गुफा बुराई का। अच्छाई के गुफा में जाओगी तो तुम्हें वहां एक वृद्ध महिला मिलेगी जो कई सालों से बीमार पड़ी है तुम्हें उनकी सेवा करनी होगी और अगर बुराई के गुफा में जाओगी, तो तुम्हें वहाँ ढ़ेर सारा खजाना मिलेगा। परन्तु याद रखना उस गुफा में एक नागिन रहती है और ये तुम पर निर्भर करता है। तुम कौन सा मार्ग चुनती हो अच्छाई का या बुराई का। हा..हा…हा..हा..
इतना बोलकर वो परी वहां से गायब हो जाती है।
सुमन – सोनिया हमें अच्छाई के गुफा में चलना चाहिए। वहाँ बेचारी बूढ़ी काकी कितने सालों से बीमार पड़ी है हम उन्हें इस हालत में नहीं छोड़ सकते। हमें जा कर उनकी मदद करनी चाहिए।
सोनिया –हाँ, तुम्ही जाओ अच्छाई के गुफा में, मैं तो बुराई के गुफा में जाऊँगी। सुना नहीं तुमने वो परी क्या कह कर रही, कि बुराई के गुफा में हमें ढ़ेर सारे खजाना मिल सकता है जो हमें मालामाल कर सकता है मेरी बात मानो तुम भी मेरे साथ बुराई के गुफा में चलो।
सुमन – नहीं सोनिया मैंने बचपन से ही सीखा है कि हमें हमेशा अच्छाई के रास्ते पर ही चलना चाहिए। पैसो का क्या है। पैसे तो आज है और कल नहीं। परन्तु हमारी अच्छाई हमेशा हमारे साथ रहती है। आ तुम्हें तो कुछ कहना ही बेकार है।
सोनिया – मैं तो चली अपने बुराई वाले गुफा में तुम भी जाओ अपने अच्छाई के गुफा में।
इतना कह कहकर सोनिया बुराई के गुफा में चली जाती है। और सुमन अच्छाई के। सुमन को थोड़ी दूर चलने के बाद गुफा के अन्दर बहुत ही खुबसुरत दुनिया नजर आती है। जहाँ बहुत ही सुन्दर सुन्दर फूल खिले थे तरह तरह फल लगे थे। सुमन को बहुत भूख लगी थी तो वो पेड़ से फल तोड़कर खाने लगी।
सुमन – वाह कितने स्वादिष्ट फल है
तभी सुमन को वहाँ एक कुटिया नजर आती है। जिसमें से खांसने की आवाज आती है। सुमन उस कुटी के पास जाती है और कहती है
अम्मा – खांसने की आवाज़
सुमन – मैं आ गयी हूँ आपकी देख भाल करने। अब आप बहुत जल्दी ठीक हो जायेंगी।
सुमन सच्चे मन से उस अम्मा की देखभाल में लग जाती है। दिनरात उनकी सेवा करती है। सुमन रोज कुटिया की सफाई करती है झाड़ू लगाती है पशु पक्षी को खाना खिलाती है और बहुत ही अच्छे से अम्मा का ख्याल रखती है वहीं दूसरे तरफ सोनिया के बुराई के गुफा के अन्दर जाते ही उसे बहुत ही अजीब और डरावनी दुनिया नजर आती है। उसे बहुत ही डरावनी आवाजे सुनाई देती है। सोनिया खजाने की लालच में आगे बढ़ती रहती है। सुबह से शाम हो जाती है। सोनिया का बहुत भूख भी लग रही होती है।
सोनिया – उस परी ने कहा था कि यहाँ खजाना है पर मुझे दूर दूर तक तो कोई खजाना नजर नहीं आ रही और भूख से मेरी जान जा रही है।
फिर थोड़ी और आगे चलने पर सोनिया को कुछ चमकती हुई चीज दिखाई देती है।
सोनिया – अरे वाह मिल गया खजाना मैं जल्दी से उस खजाने के पास जाती हूँ और सारा खजाना ले लेती हूँ फिर मैं और अमीर बन जाऊँगी हा…हा…हा…
ये सोचकर सोनिया खजाना लेने आगे बढ़ती है उसे वहाँ ढ़ेर सारा खजाना नजर आता है।
सोनिया – अरे वाह इतना सारा खजाना। सुमन तो पागल है जो अच्छाई के गुफा में चली गयी। अगर वो मेरे साथ बुराई के इस गुफा में आती तो उसे भी उसे इतना सारा खजाना मिलता। पर कोई बात नहीं अब ये सारा खजाना अकेले मेरा है हा..हा..हा..
ये सोचकर सोनिया जैसे ही खजाने को हाथ लगाती है वो खजाना गायब हो जाता है।
सोनिया – अरे ये क्या ये खजाना मेरे हाथ में क्यों नहीं आ रहा। इसीप्रकार सोनिया जैसे ही खजाने को लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाती खजाना गायब हो जाता और अगर हाथ पीछे करती तो खजाना वापस आ जाता।
सोनिया – अरे ये क्या हो रहा है मेरे साथ। तभी उसके सामने एक नागिन प्रकट होती है।
नागिन – ही…ही…ही.. लालची लड़की अब तेरा लालच ही तुझे ले डुबेगा। अब तू यहाँ से जिन्दा बचकर नहीं जायेगी। और मेरा भोजन बनने के लिए तैयार हो जा। मैं कई सालों से भुखी हूँ और आज जी भर कर तुझे खाऊँगी हा…हा…हा…
सोनिया – नहीं मुझे छोड़ तो मुझे जाने दो मुझे कोई खजाना नहीं चाहिए, कृपया मुझे छोड़ दो
नागिन – हा…हा….हा….
परन्तु नागिन सोनिया को वहीं डँस लेती है और सोनिया चूहे मे बदल जाती है
नागिन – जो भी बुराई के गुफा में आयेगा उसका यही हाल होगा हा…हा…हा…हा…
दूसरे तरफ सुमन सच्चे दिल से उस अम्मा की देखभाल में लगी हुई थी
सुमन – अम्मा ये काड़ा पी लो इससे आप बहुत जल्दी ठीक हो जायेंगी।
अम्मा – बेटी तुम बहुत ही अच्छी और नेक लड़की है
इतना बोलकर वो बुढ़ी अम्मा एक परी में बदल जाती है।
परी – सुमन मैं तुम्हारी परीक्षा ले रही थीं। और तुम उस परीक्षा में खड़ी उतरी हो और मैं तुम्हारे श्रद्दा भाव से बहुत प्रसन्न हुई और इसलिए मैं तुम्हें कुछ देना चाहती हूँ
फिर परी सुमन को बहुत सारा खजाना देती है। सुमन परी का धन्यवाद देकर वो खजाना लेकर उस गुफा से बाहर आ जाती है गुफा से बाहर आने पर उसे पता चला कि उसकी सहेली सोनिया को नागिन ने डंस लिया है। और वो वही गुफा के अन्दर चूहा बन गई है इस बात का सुमन को बहुत अफसोस होता है।
सुमन – काश सोनिया तुम्हें मेरे साथ अच्छाई के रास्ते पर चली होती, तो तुम आज मेरे साथ होती ।
तभी वहाँ सोनिया चूहे के रूप में आती है और कहती है।
सोनिया – सुमन तुम बिल्कुल सही कह रही हो। खजाने की लालच ने मुझे अन्धा कर दिया था। जिस कारण मैं बुराई के गुफा में जाने के लिए मैं मजबूर हो गयी। परन्तु तुमने लालच नहीं किया और अच्छाई का मार्ग सुना। जिस कारण तुम्हें खजाना लेने की इच्छा ना होने पर भी तुम्हें इतना सारा खजाना मिला। काश मैं भी तुम्हारे साथ अच्छाई के गुफा में गयी होती। पर अफसोस मेरे लालच ने ही मुझे ले डुबा।
इतना कहते ही परी वहां पर आती है और सुमन से कहती है
परी – तुम्हारी बातें सुन कर लग रहा है के तुम्हे अपने किये पर पछतावा है।
और ऐसा कहते ही परी सोनिया को वापिस इंसान में बदल देती है।
दोनों सहेलियाँ परी का धन्यवाद करती है और वादा करती है के ये शिक्षा हम आगे भी सभी दोस्तों को देंगे।
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