एक बार की बात है, एक बच्चा था। उसका नाम रोहन था। वह बहुत शरारती और पढाई में नालायक था। क्योकि उसका ध्यान पढाई में कम और खेल कूद में ज्यादा रहता था ।
लेकिन जब से पब जी आई तब से उसका सारा दिन पब जी खेलने में ही लगा रहता। जिसके चलते वह अपनी कक्षा में भी सबसे पीछे रहता और अपने अध्यापको से रोज डाँट खाता। जब कभी उसके पास अपने माँ या पिता का फ़ोन नहीं रहता तब वह घर के सामान से पब जी की नक़ल के हथियार बनाता और उनके साथ खेलता।
वह खाने के टेबल पर भी उन्ही को हाथ में रखता और सोते वक़्त भी वही हथियार उसके सिरहाने रहते ।
एक दिन रोहन ने सोचा के क्यों न मैं आज ये हथियार अपने दोस्तों को दिखाऊं। बस फिर क्या था उसने अपनी बनाई बंदूकों को बैग में रखा और उन्हें ले कर स्कूल चला गया।
स्कूल के दोस्तों के पूछने पर उसने बताया के ये पब जी के खिलोने है जो रोहन ने खुद बनाये है। उस दिन उसके दोस्त छुप छुप कर नकली बंदूकों से खेलते रहे। एक तरफ अध्यापक पढ़ा रहे थे और दूसरी ओर रोहन अपने दोस्तों के साथ पब जी खेल रहा था।
अगले ही दिन रोहन अपने दोस्तों के लिए कुछ प्लाटिक की स्ट्रॉ ले कर गया और सब को एक एक दे कर बोला। आज कुछ नया करेंगे । जाओ और छोटे-छोटे पत्थर ले कर आओ जो इस स्ट्रॉ के साइज के हो और आसानी से इस स्ट्रा से निकल जाये।
सभी दोस्तों ने ख़ुशी ख़ुशी स्ट्रॉ ली और स्ट्रॉ से थोड़े छोटे आकर के पत्थर ले आये।
उसने अपनी स्ट्रा निकाली और उसमें एक पत्थर डाल कर जोर से फूंक मारी तो पत्थर काफी तेजी से आगे की ओर गया। बस फिर क्या था पूरी क्लास को एक नया काम और एक नया खेल मिल गया था।
अगले दिन जब मास्टर जी पढ़ा रहे थे। तो रोहन ने ब्लैकबोर्ड की और अपनी स्ट्रॉ को किया और एक छोटा पत्थर ब्लैकबोर्ड की ओर मारा । यह देख कर मास्टर जी को बहुत गुस्सा आ गया और उन्होने इसकी शिकायत स्कूल के प्रिंसिपल (मुख्य अध्यापक) जी से की।
मुख्य अध्यापक जी ने रोहन ने घर पर फ़ोन कर सारी बात बताई और उसको पांच दिन के लिए स्कूल से निंलबित कर दिया
जैसे ही रोहन घर पर पहुंचा उसके पापा ने उसे बहुत डांटा। उसके सारे खिलौने स्टोर में लॉक कर दिए और उसका कार्टून भी बंद कर दिया।
रोहन अब ये सोच रहा था के उसने ये सब क्यों किया। उसका ज्यादा ध्यान अब किताबो में या स्टोरी रीडिंग में रहता। ये सब के चलते वह अब नालायक नहीं रह गया था। उसके नंबर्स अच्छे आने लग गए। उसके ये सब बदलाव देख कर उसके पापा ने कार्टून देखने की भी मंजूरी दे दी और उसके खेलने का भी टाइम उसका फिक्स हो गया था। रोहन अपनी इस नई ज़िन्दगी से खुश था। उसने अपने दोस्तों को भी समझया के अगर किसी आदत के चलते तुम्हारा पढाई या काम का नुकसान हो रहा हो तो वह आदत बुरी कहलाती है।