एक बार की बात है एक फ़ार्म में एक मुर्ग़ा, एक कुत्ता, एक बिल्ली और एक बतख़ रहते थे।
कुत्ता बड़ा ही आलसी था, बिल्ली एक नम्बर की कामचोर और बतख़ मनमौजी थी। तीनों का कोई काम करने को दिल नहीं करता था।
उनमे से सिर्फ़ मुर्ग़ा ही मेहनती था। एक दिन मुर्ग़े को कुछ गेहूँ के दाने मिले उस ने सबसे पूछा कौन इन दानों को बोने में मेरी मदद करेगा।
तब सब ने माना कर दिया। लेकिन वह मेहनती मुर्ग़ा रोज़ मेहनत करता।कभी दानों की बुआई करता, कभी नन्हें पौधों की सिंचाई करता।
यहाँ तक की पक्की फ़सल की कटाई भी उसी ने की। बाद में मेहनती मुर्ग़ा गेहूँ को पिसाई के लिए भी ले गया परन्तु आलसी कुत्ता, कामचोर बिल्ली और मनमौजी बतख़ सारा -सारा दिन आलस और मस्ती करने में ही बीता देते।किसी ने उस की मदद नहीं की।अब बारी आयी उस गेहूँ की रोटियाँ बना कर खाने की।
अब सभी जानवर-आलसी कुत्ता,कामचोर बिल्ली,और मनमौजी बतख़ आ गए रोटी खाने।लेकिन मेहनती मुर्ग़े ने उन्हें एक भी रोटी ना दी। उस ने कहा जो मेहनत करता है वही उस मेहनत का फल खाता है। बिना मेहनत कोई फल नहीं मिलता।
अब यह बात सब की समझ में आ गयी।अगले साल सबने मिल कर मेहनत की और गेहूँ की फ़सल उगाई।गेहूँ के साथ- साथ उन्होंने और भी सब्ज़ियाँ और फल उगाए और फ़सल पक जाने पर सब ने मिल कर उस का आनंद उठाया।