एक बार की बात है । एक राजा था । स्वभाव से काफी गुस्से वाला । राजा को किसी भी छोटी सी बात पर गुस्सा आ जाता था। दूसरी तरफ उसी राजा का एक दोस्त था मोहन । स्वभाव से एक दम शांत और भगवान पर पूरी तरह से विश्वास करने वाला । वह किसी भी बात पर गुस्सा नहीं करता था। अक्सर उसके चेहरे पर मुस्कान रहती और हर मुश्किल की घड़ी में वह एक ही वाक्य बोलता “भगवान जो करता है अच्छा ही करता है।
एक दिन राजा और उसका दोस्त जंगल मैं शिकार के लिए गए । काफी देर तक घूमने पर उन्हें एक सफ़ेद हिरन दिखाई दिया। राजा ने उससे मारने के लिए तीर कमान उठाया ही था के वह राजा और उसके दोस्त की आँखों से ओझल हो गया। फिर क्या था राजा ने ठान लिया के अब वह इस हिरन का शिकार करके ही महल की वापसी करेंगे।
बहुत देर हो चुकी थी । शाम होने वाली थी । मोहन ने कहा के राजा जी देर हो रही है । अगर वक़्त पर महल नहीं पहुँचे तो इस घने जंगल में कुछ भी बुरा हो सकता है। यह बात राजा ने अनसुनी करते होए बोला “फिर क्या है । तुम्हीं तो बोलते हो के भगवान जो करता है अच्छा ही करता है। क्या हुआ अब भगवान से विश्वास उठ गया क्या?”
मोहन ने यह सुना और मुस्कुराते हुए बोला के भगवान से विश्वास नहीं उठा राजा जी। भगवान जो करता है अच्छा ही करता है। ये कह कर हमेशा की तरह मोहन ने आसमान की तरफ देखा और मुस्कुराता रहा।
कुछ ही देर में वही सफ़ेद हिरन दिखाई दिया और राजा ने बिना देरी किये उसकी तरफ तीर चला दिया तीर सीधा हिरन के लगा लेकिन हिरन अपनी जान बचाने के लिए आगे की और भागा। यह देख कर राजा भाग कर उसका पीछा करने की कोशिश की तो राजा के हाथ में एक नुकीला कांटा घुस गया जिसने ऊँगली को काफी ज्यादा जख्मी कर दिया। दर्द राजा से बर्दाश्त नहीं हुआ और राजा जोर से चिल्लाया जैसे ही उसने मोहन की तरफ देखा मोहन आसमान की तरफ देखते होए बोला भगवान जो करता है अच्छा ही करता है।
यह सब राजा से बर्दाश्त नहीं हुआ और राजा को लगा के मोहन उसका मजाक उड़ा रहा है। उसने मोहन को एक पास के सूखे कुँए में धक्का मार दिया।
मोहन गड्ढे में गिर कर बोला राजा जी कोई गलती हुई तो माफ़ कर दीजिये । राजा ने जोर जोर से हँसते हुए बोला। भगवान जो करता है अच्छा ही करता है। यह सुन कर मोहन मुस्कुराया और बोला सच तो यही है।
राजा को मोहन का जवाब फिर से पसंद ना आया और वह हिरन की तलाश में आगे की और बढ़ने लगा। कुछ दूर जाते ही एक जाल राजा की ऊपर गिरा जिसने राजा को ऊपर की और खींच दिया। और अब राजा हवा में किसी शिकार की तरह लटक रहा था।
दरअसल वह हिरन की तलाश में सिंबा कबीले के इलाके में चला गया था। ये लोग अपने देवता को खुश करने के लिए अक्सर इंसान की बलि देते थे । राजा अब कुछ ही देर में अपनी जान गवाने वाला था। यह बात राजा को अच्छे से मालूम हो चुकी थी।
पलक झपकते ही चार लोग आये और राजा को अपने कबीले के सरदार के पास ले गए । सरदार ने वही पर खड़े बाकी लोगों को इशारा किया और एक भयानक शक़ल वाला मोटा और काला आदमी हाथ में मोटी तलवार लिए राजा की तरफ बढ़ने लगा।
राजा की आंख में आंसू थे और उससे लग रहा था के आज उसकी ज़िन्दगी का आख़िरी दिन है। दूसरी और वह मोटा आदमी तलवार हवा में उठा चुका था।
यह देख राजा ने आँख बंद कर ली के अचानक सरदार ने चिल्लाया और राजा की ऊँगली की तरफ इशारा करते होए बोला । ये पहले से जख्मी है। यह बलि हमारे देवता कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। जाओ इसे जाने दो।
यह सुन कर राजा को विश्वास हो गया था के भगवान जो करता है अच्छा ही करता है। वह भाग कर मोहन के पास गया और उसको कुँए से बाहर निकला। और पूरी आप बीती बताई । राजा अपने किये पर बहुत शर्मिंदा था उसने मोहन से माफ़ी मांगी और भविष्य में गुस्से को त्यागने का वादा भी किया।
Moral of the story (शिक्षा) – जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है