रोटी चोरी वाली चुड़ैल
श्यामपुर गाँव में एक घर था जहाँ सालों से कोई नहीं रहता था लेकिन उस घर के सामने गाँव के सारे लोग अपने-अपने घर से रोटियाँ लाकर रखते हैं और थोड़ी ही देर में वो रोटियाँ गायब हो जाती है। सबको ये पता होता है कि उस घर में जो चुड़ैल है वो रोटियाँ खाती है। क्योंकि जिस दिन भी उस घर में किसी घर से रोटी नहीं जाती उस घर में अगले दिन से खाना नहीं बन पाता था और अजीब-अजीब सी आवाजें आती हैं। एक दिन एक परिवार गाँव में नया आता है। परिवार में एक अम्मा और उनका बेटा मोहन रहता है।
अम्मा: मोहन बाज़ार से जाकर खाना बनाने का सामान लेकर आ जा।
मोहन: ठीक है माँ जाता हूँ।
और मोहन सामान लेकर आता है और माँ खाना बनाने में जुट जाती है। वो लोग गाँव में नए रहते हैं और उन्हें कोई बताता भी नहीं है कि उनको उस घर के सामने रोज रोटी रखना है।
अब अम्मा खाना बना देती है और मोहन और अम्मा खाना खाकर सो जाते हैं अगले दिन सुबह जब अम्मा खाना बनाने जाती है तो जैसे ही रोटी बनती है गायब हो जाती है। और अजीब सी आवाजें आती हैं।
अम्मा: मोहन-मोहन….
मोहन: हाँ अम्मा। क्या हुआ?
अम्मा: मैं रोटी बना रही हूँ और रोटियाँ गायब हो रही हैं। और अजीब सी आवाजें आ रही हैं जैसे कोई हँस रहा हो।
मोहन: ऐसा कैसे हो सकता है अम्मा? आप न मेरे सामने रोटी बनाओ देखते हैं।
जैसे ही अम्मा रोटी बनाती है रोटी गायब हो जाती है। और हँसने की आवाज आती है मोहन भी चौंक जाता है।
मोहन: अरे अम्मा ये कैसे हो रहा है कहीं इस घर में कुछ है तो नहीं।
दोनों घबरा जाते हैं। और गाँव के मंदिर में जाते हैं और पंडित से पूछते हैं कि उनके साथ ऐसा हो रहा है।
पंडित: बेटा गाँव के बींचोंबीच एक घर बना है। रोज उस घर के सामने 2-4 रोटी सुबह शाम रख दिया करो तुम्हारी परेशानी दूर हो जाएगी। और उस घर के सामने जाकर कहना कि खाना बनते ही रोटी सबसे पहले इस घर के सामने रख कर जाओगे।
मोहन: लेकिन पंडित जी ऐसा क्यों?
मोहन के पूछने पर पंडित जी बताते है की बहुत समय पहले कि बात है इस घर में एक औरत रहती थी। उसके घर में खाने के लिए कुछ नहीं था और उसके पास कोई काम भी नहीं था तो वह लोगों के घर से रोटियाँ चुरा लेती थी। एक दिन उसने सरपंच के घर से रोटी चुराई और सरपंच ने उसे ऐसा करते पकड़ लिया। इसके बाद सरपंच ने उसको सजा दी कि उसे कोई खाना नहीं देगा और उस घर में उसे बंद करवा दिया। उसकी उसी घर में मौत हो गई। और उसके बाद वो चुडैल बन गई और तब से ही उसके घर के सामने सबको रोटी रखना पड़ती है जो ऐसा नहीं करता उसको वह बहुत परेशान करती है।
मोहन: तो आप लोगों ने कुछ किया नहीं जिससे उसको इस योनी से मुक्ति मिल जाये।
पंडित: हमने बहुत कोशिश की लेकिन वो इस गाँव से जाने तैयार ही नहीं है।
मोहन: ठीक हैं पंडित जी।
मोहन अम्मा को लेकर वहाँ से घर चला जाता है और पंडित जो कहता है वही मोहन करता है और घर जाकर…
मोहन: अम्मा आज अच्छा खाना बनाओ पुड़ी, हलवा, खीर और सब्जी।
अम्मा: आज कुछ है क्या बेटा?
मोहन: नहीं अम्मा। बस अब आप रोज अच्छा अच्छा खाना बनाइये कुछ दिन और मुझे एक थाली परोस कर दे दीजिये।
अम्मा: ठीक है बेटा।
अम्मा को कुछ नहीं समझ आता कि मोहन क्या कर रहा है।
मोहन: आप परेशान मत हो अम्मा सब ठीक है मैं ये खाना इसलिए बनवा रहा हूँ कि जब हम रोटी वाली चुड़ैल को ये खाना खिलाएंगे तो उसको कितनी ख़ुशी होगी।
अम्मा: हाँ बेटा।
अब मोहन थाली लेकर जाता है और रोटी वाली चुड़ैल के घर के बाहर बैठ जाता है और कहता है कि….
मोहन: चुड़ैल अम्मा बाहर आओ मैं तुम्हारे लिए पकवान लाया हूँ। मैं तुमको अपने हाथ से पकवान खिलाऊंगा अम्मा।
इतने में चुड़ैल मोहन के सामने आती है और मोहन उसको खाना खिलाता है और सारा गाँव उसको देखता है और मोहन रोज चुड़ैल को पूछता है कि उसको खाने में क्या खाना है और रोज उसको अच्छे-अच्छे पकवान खिलाता है।
एक दिन….
मोहन: चुड़ैल अम्मा ये बताओ तुम यहाँ अकेली कैसे रह लेती हो तुमको बुरा नहीं लगता।
चुड़ैल अम्मा: लगता तो है लेकिन मेरे साथ कौन रहेगा बेटा?
मोहन: आप वहाँ क्यों नहीं चली जाती जहाँ आपके जैसे ही लोग हों।
चुड़ैल अम्मा: हाँ बेटा बात तो सही कह रहे हो।
मोहन: अम्मा वहाँ आपको अच्छा लगेगा।
चुड़ैल अम्मा: एक काम करो बेटा, वो लौटा है मेरे घर के अन्दर उसको जाकर नदी में बहा दो। मुझे मुक्ति मिल जाएगी। अब मुझे इस गाँव से और गाँव वालो से कोई परेशानी नहीं है।
मोहन: ठीक है अम्मा।
और मोहन ऐसे ही करता है और पुरे गाँव को रोटी वाली चुड़ैल से मुक्ति मिल जाती है।