बारिश मछलियों की | Fish Rain | Hindi Kahaniya | Hindi Moral Story | Kahani Kahani

गोपाल नाम का एक किसान था।  एक दिन वो अपने खेत में काम कर रहा था। अचानक उसे एक सोने का घड़ा मिला।  जो सोनों के मोहरों से भरा हुआ था। 

गोपाल – ह सोने का घड़ा !! मेरा तो नसीब ही खुल गया।  कमला को दिखाऊंगा तो वो ख़ुशी से पागल ही हो जाएगी। 

लेकिन जैसे ही वो कमला के बारे में सोचने लगता है।  वो थोड़ा डर सा जाता है। 

गोपाल – नहीं नहीं। कमला को इसके बारे में बताया तो वो पुरे गांव में ढिंढोरा पीटने लगेगी। उसके पेट मे वैसे भी कोई बात कहाँ पचती है हुह!!

 

ऐसा कहते ही उसे अपनी पत्नी दिखाई देती है

 

कमला – हमारे खेत में सोने का हंडा मिला। हमारे खेत में सोने का हंडा मिला।

 

गोपाल -अरे  बापरे नहीं नहीं।  ऐसा नहीं होना चाहिए।  लेकिन में कमला से इस बात को छुपाऊंगा कैसे ? इतने बड़े घड़े को तो में अकेले उठाके नहीं ले जा सकता।  कुछ तो उपाय सोचना पड़ेगा। 

गोपाल ने उस घड़े को फिरसे मिटटी से ढक दिया।  और उसी बात पर सोचते हुए वो घर पहुंचा। 

 

कमला – आज बड़े जल्दी घर लौंट आये। 

गोपाल -मुझे ज़ोरों की भूक लगी है।  जल्दी से खाना परसो। 

 

कमला ने खाना परोसा।  लेकिन गोपाल का ध्यान खाने में नहीं था। 

 

गोपाल -कमला मुझे भूक नहीं है।  में जरा बाजार होके आता हूँ ।

 

कमला – बड़ी अजीब बात है।  अभी तो कह रहे थे की बड़ी भूक लगी है।  तबियत तो ठीक है न आपकी। 

 

गोपाल -हाँ हाँ में ठीक हूँ । रात को देर हा जाएगी।  तुम खाना खाकर सो जाना। 

गोपाल अब बाजार पहुँचता है ।  वो बाजार में से कुछ मछलिया और लाल रंग के चार पांच डिब्बे खरीद लेता है। फिर वो सारा सामान लेकर अपने खेतों में पहुँचता है।

 

गोपाल -मुझे अब काम पे लग जाना चाहिए। 

 

गोपाल अब उस लाल रंग को पानी में मिला देता है और पुरे खेत में उस रंग की सिंचाई कर देता है।  उस के बाद साथ लाई हुई मछलियोंको वो खेतों में बिखेर देता है ।

 

गोपाल -हम्म अब ठीक है। 

 

रात को बड़ी देर से वो अपने घर पोहोंचता है।

 

गोपाल -अरे!! ये तो सो गयी।  कमला कमला उठो कमला तुम्हे कुछ बताना है।  अरे जल्दी यहाँ आओ।

 

कमला – ओह्ह क्या हुआ।? आपको आने में तो बड़ी देर हो गयी। 

 

गोपाल -बात ही कुछ ऐसी है । मेरे साथ खेत में चलो।

कमला – अभी ? इतनी रात गए।  कल सुबह चले जायेंगे। 

गोपाल -नहीं कमला अभी चलो ।  अपने खेत में बारिश हुई है। 

कमला – ये कैसे हो सकता है ? यहाँ पर तो कोई बारिश नहीं हुई। आकाश भी साफ़ है।

गोपाल -अरे पगली वही तो बात है । बारिश सिर्फ हमारे खेतों में हुई है । वो भी साधारण बारिश नहीं।  मछलियोंकी बारिश।  आसमानसे ढेर सारी मछलिया अपने खेतों में बिखरी पड़ी है। 

कमला – मछलियोंकी बारिश आपकी तबियत तो ठीक है ना?

गोपाल – मैं  बिलकुल ठीक हु कमला। अब चलो मेरे साथ।    

      

हाथ में लालटेन लिए अब दोनों खेत पहुंचे। 

गोपाल – देखो कमला ये कोई साधारण बारिश नहीं थी। आसमान से लाल रंग का पानी टपक रहा था।  मेने उस पानी को एक घड़े में भर कर रखा है । 

 

जब कमला ने खेतों में बिखरी मछलिया देखि।  तो वो हैरान हो गयी।  खेतों में जगह जगह लाल रंग की बुँदे भी नजर आ रही थी। 

 

कमला – अरे हा यहाँ पर ढेर सारी मछलिया बिखरी पड़ी है। ये साब कैसे हुआ ?

गोपाल – ये तो कोई चमत्कार ही लगता है।  हम इस पानी से भरे घड़े को घर लेके जाते है लेकिन ये बड़े राज की बात है तुम ये किसीको नहीं बताना। 

कमला – मैं  भला किसी को क्यों बताउंगी। 

 

कमला की मदद से गोपाल वो सोने क मोहरोंसे भरा घड़ा घर ले आता है।  दूसरे दिन सुबह कमला के उठने से पहले।  गोपाल ने वो घड़ा घर के आँगन में गाड़ के छुपा दिया।  सुबह जब कमला उठी।  वो गोपाल के पास आकर उस घड़े के बारे में पूछने लगी। 

 

कमला – जी सुनते हो वो घड़ा आपने कहा पररखा है ?

गोपाल – घड़ा कोनसा घड़ा?

कमला – वही जो रात को हम अपने खेतोंसे लेकर आये थे

कमला की ये बात कुछ पडोसियों के  कानों पे पड़ती है।  और वह कमला के आसपास जमा होकर उसे उस घड़े के बारे में पूछने लगते है। 

 

 

गोपाल – अरे नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है।  इसने कल रात की सपना देखा होगा।

कमला -मुझे कोई सपना नहीं पड़ा था। आप झूठ क्यों बोल रहे हो? कल रात को हम खेत में से एक बड़ा सा घड़ा लेके आये। 

पडोसी (male) – कल रात को ??

कमला – हा हा कल रातको।  पता है कल रात को हमारे खेत में बड़ी तेज बारिश हुई थी। 

पडोसी (male) – लेकिन कल रात को तो यहाँ पर कोई बारिश नहीं हुई।

कमला -वही तो।  बारिश सिर्फ हमारे खेतों में हुई थी । और वो भी कोई साधारण बारिश नहीं आसमान से लाल रंग का पानी बरसा।  और पता है ढेर सारी मछलिया भी आसमान से टपककर हमारे खेतों में गिरी।  वो घड़ा उसी लाल रंग के पानी से भरा हुआ था। 

 

कमला की ये बात सुनकर वह जमे सभी लोग हसने लगे। 

पडोसी (male- हँसते हुए) – मछलियोंकी बारिश ऐस भी कभी कुछ हो सकता है भला। 

ये जरूर पागल हो गयी है  बहन तुमने जरूर कोई सपना देखा होगा।  चलो भाई खालीपीली अपना समय बर्बाद हुआ।  मछलियोंकी बारिशपागल कही की। 

कमला -अरे रुको जरा सुनो तो में सच्च कह रही हु अरेरे सुनो तोह। 

सच में मछलियोंकी बारिश हुई थी।

अरे आप तो कुछ बोलिये ना। 

गोपाल – मैंने तो पहले ही कहा था।  तुमने कोई सपना देखा होगा।  अब जाने भी दो कमला जल्दी से मुझे नाश्ता दे दो। खेतोंमें जाने में देरी हो रही है।

कमला -हम्म क्या सचमे मैंने कोई सपना देखा है? हम्म

 

अपनी पत्नी को पुटपुटा हुए अंदर जाता देख गोपाल मन ही मन मुस्कुराता है। 

राज़ की बात हमेशा राज़ ही रहनी चाहिए।

नहीं तो वो राज़ क्यों कहलायेगा ?

हा हा हा

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