कुएं में मेंढक की प्रेरणादायक कहानी (The frog In the well Story in hindi)

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कुएं में मेंढक की प्रेरणादायक कहानी (The frog In the well Story in hindi)

नमस्कार दोस्तो, आज इस पोस्ट में हम कुएं में मेंढक की कहानी  आपके साथ साझा करेंगे। यह कहानी कुएं में रहने वाले मेंढको की समुद्री मेंढक से मुलाकात की है। कुएं में रहने वाले मेढकों ने कभी समुद्र नही देखा था। जब समुद्री मेंढक से उनकी मुलाकात होती है और समुद्री मेंढक कुएं में रहने वाले मेंढकों को समुद्र के बारे में बताता है, तो उन सब की क्या प्रतिक्रिया रहती है इसके बारे में इश प्रेरणादयाक कहानी मे बताया गया है।

एक बड़े से समुद्र  में एक मेंढक रहता था। एक दिन वह सुमद्र से बाहर निकल आया और उछल-उछल कर इधर-उधर घूमने लगा। घूमते-घूमते वह बहुत दूर निकल गया। मेंढक ने जंगल पार कर लिया। जैसे ही उसने जंगल पार किया उसे एक कुआं नजर आया। वह कुएं की मुंडेर पर चढ़ गया और कुएं के अंदर झांककर देखा तो उसे कुछ मेंढक कुएं के अंदर नजर आये। उसके मन में उन मेंढको से मिलने की जिज्ञासा उठी और वह फौरन कुएं में कूद गया।

कुएं में पानी में जाकर मेंढको से मिला। वे सब उसे अपने सरदार के पा लिवा गये।

मेंढ़को का सरदार (उसने उससे पूछ)- तुम कहाँ के रहने वाले हो

समुद्री मेंढक- मैं समुद्र में रहता था, मैं वहाँ से आया हूँ

कुएं में रहने वाले मेंढको में से किसी ने कभी समुद्र नही देखा था। वे सब आपस में बात करने लगे। मेंढकों के सरदार को कुछ समझ नही आ रहा था।

सरदार ने पूछा- यह समुद्र क्या होता है?

समुद्री मेंढक- समुद्र वह स्थान है जहाँ पर पानी ही पानी होता है। मैं वही का रहने वाला हूँ। घूमता हुआ यहाँ आ गया।

मेंढको का सरदार(उत्सुकता से पूछता है)- समुद्र कितना बड़ा होता है?

समुद्री मेंढक(उत्तर देता है)- समुद्र बहुत बड़ा। बहुत ही बड़ा।

मेंढ़को का सरदार( कुंए के एक-तिहाई भाग तक उछल कर बोला)- इतना बड़ा?

समुद्री मेंढक(उत्तर देता है)- नही इससे कही बड़ा

मेढ़को का सरदार( और छलता है और उसने आधा कुआं तय कर के पूछता है)- इतना बड़ा?

समुद्री मेंढक- नही इससे भी बड़ा

फिर मेंढको का सरदार उछलकर पूरे कुए की ऊँचाऊ नापता है औऱ पूछता है

मेंढको का सरदार- इतना बड़ा?

समुद्री मेंढक (हँसते हुए जवाब देता है)- नही इससे कहीं बड़ा समुद्र की लम्बाई का अंदाजा लगा पाना बहुत मुश्किल है।

ना ही मेंढकों का सरदार और ना उसके समूह के सारे मेंढक कुएं से बाहर कभी नही निकले थे। उनकी दुनिया सिर्फ वह कुआं था। उन्हे समुद्री मेंढक की बातों पर विश्वास नही हुआ। मेंढको का सरदार कुछ देर शान्त रहा,  उसी बीच मेढको के समूह से एक मेंढक बोला

मेंढक- सरदार यह झूठ बोल रहा है। हमारे कुएं से भी विशाल जगह हो ही नही सकती। ऐसे झूठे मक्कार मेंढक को हम अपने साथ नही रख सकते । इसे यहाँ से भगा देना चाहिये।

उसकी देखा-देखी समूह के और भी मेंढक चिल्लाने लगे, इस मेंढक को यहाँ से निकाल दो। इस मेंढक को यहाँ से भगा दो

मेंढ़को के सरदार को भी उन लोगो की य बात सही लगी। उसने मेंढ़ोक को आदेश दिया की इस झूठे  दगाबाज मेंढक को यहाँ से निकाल दिया जाए। सभी मेंढकों ने मिलकर उस समुद्री मेंढक को कुए से बाह निकाल दिया।

शिक्षा (Moral of The frog In the well Story)

हमारे जीवन में भी कई बार ऐसा ही होता है। जिस चीज को हमने अपनी जिन्दगी में कभी ना देखा हो उस पर विश्वास करना बहुत ही कठिन होता है। जो काम जिन्दगी में कभी भी ना किया हो उसमें सफलता प्राप्त होने का विश्वास होना कठिन होता है। यदि हमने संकुचित बुद्धि से सोचा, तो कुएं में ही रह जायेंगे। मतलब जिन्दगी में संकुचित दायरे में ही सिमट कर रह जायेंगे। जिन्दगी में अगर आगे बढ़ना है तो सबसे पहने अपनी सोच को बड़ा करना चाहिये। सारी बातों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकर ही कोई फैसला लेना चाहिये और जिन्दगी की असीमित संभावनाओ के बारे में सोचना चाहिये। तब जाकर हम उस दिशा में काम कर पायेंगे और सफलता के नये आयामों को छू पायेंगे।

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