दोस्तो, आज हम इस पोस्ट में एक प्रेरणादायक कहानी आप के साथ साझा करगें। कहानी अपनी क्षमता पहचानने के विषय पर हैं भगवान ने हर व्यक्ति को किसी ना किसी खास गुण से नवाजा है। हर किसी कमें क्षमता और सामर्थ्य हैं। जरुरत है उसे पहचानने की यह कहानी है आलसी आदमी जो आपको अपने अन्दर छुपी हुयी सम्भावनाओं को पहचानने की शिक्षा देगीं तो आइये पढ़ते हैं पूरी कहानीः
एक गाँव में एक आलसी आदमी रहता था। वह कुछ काम नही करता था बस दिनभर बेकारो की तरह बैठकर सोचता रहता था कि किसी प्रकार उसे कुछ खाने को मिल जाये।
एक दिन वह ऐसे ही घूमते-घूमते आम के एक बाग में पहुँच गया वहाँ रसीले आमों से लदे बहुत से पेड़ थे आम देखकर उसके मुँह में पानी आ गया और आम तोड़ने वह पेड़ पर चढ़ गया लेकिन जैसे ही वह पेड़ पर चढ़ा ही था वैसे ही उस बाग का मालिक आ गया।
बाग के मालिक को देख कर वह आदमी डर गया और किसी तरह से पेड़ से उतरकर वहाँ से भागा। भागते-भागते वह गाँव के बाहर जंगल में पहुँच गया वह बहुत थक गया था इसलिये पड़े के नीचे जा कर आराम करने लगा
तभी उसकी दृष्टि लोमड़ी पर पड़ी उसकी एक टांग टूटी हूई थी और वह लंगड़ाकर चल रही थी। लोमड़ी को देख उस आदमी ने सोचने लगा कि ऐसी हालत में भी इस जंगली जानवरो से भरे जंगल में ये लोमड़ी बच कैसे गई? इसका अब तक शिकार कैसे नहीं हुआ?
और जानेकी कि इच्छा के कारण वह जाकर पेड़ में बैठ गया और देखने लगा इस लोमड़ी के साथ क्या होगा।
कुछ समय बाद पूरा जंगल शेय की भयंकर दहाड़ से गूंज गया। जिसे सुनकर सारे जानवर डरकर भागने लगे। लेकिन वह लोमड़ी अपनी टूटी हुई टांग की वजह से नही भाग सकती थी। वह वही खड़ी रही।
शेर लोमड़ी के पास आने लगा। आदमी ने सोचा की अब शेर लोमड़ी को मारकर खा जायेगा परन्तु आगे जो कुछ भी हुआ वह हैरान करने वाला था शेर लोमड़ी के पास जाकर खड़ा हो गया उसके मुँह में मांस का एक टुकड़ा था जिसे उसने लोमड़ी को दे दिया लोमड़ी आराम से मांस का टुकड़ा खाने लगी। थोड़े ही समय में शेर वहाँ से चला गया।
यह सब देखकर आदमी सोचने लगा कि ईश्वर सच में हर जगह है उसने धरती के समस्त जीवों के लिये चाहे वह जानवर हो या इंसान खाने पीने का सुविधा कर रखी है। और वह घर लौट आया
घर आकर वह दो-तीन बिस्तर पर ही लेटकर इन्तजार करने लगा कि जिस तरह ईश्वर ने लोमड़ी को भोजन भिजवाया था उसी प्रकार उसके लिये भी कोई-न-कोई खाने पीने का सामान ले आयेगा।
परन्तु ऐसा कुछ नही हुआ भूख की वजह से उसके हालात और भी खराब हो गये आखिर कार उसे घर
से बाहर निकलना ही पड़ा. घर के बाहर उसे एक पेड़ के नीचे बैठे हुए बाबा दिखाए पड़े. वह उनके पास गया और जंगल का सारा बातें सुनाते हुए बोला,
आदमी- “बाबा जी! भगवान मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनके पास जानवरों के लिए भोजन का व्यवस्था की है. लेकिन इंसानों के लिए नहीं.”
बाबा जी ने उत्तर दिया
बाबा- “बेटा! ऐसी बात नहीं है. भगवान के पास सारे प्रबंध है. दूसरों की तरह तुम्हारे लिए भी. लेकिन बात यह है कि वे तुम्हें लोमड़ी नहीं, शेर बनाना चाहते हैं
शिक्षा(Moral of The Story)–
हम सबके भीतर क्षमताओं का असीम भंडार है. बस अपनी अज्ञानतावश हम उन्हें पहचान नहीं पाते और स्वयं को कमतर समझकर दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा करते रहते हैं. स्वयं की क्षमता पहचानिए. दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा मत करिए. इतने सक्षम बनिए कि आप दूसरों की सहायता कर सकें.
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