अंतिम कोशिश – हिंदी प्रेरणादायक कहानी -Motivation Story on Antim Koshish in Hindi

दोस्तो, आज हम इस पोस्ट में एक प्रेरणादायक कहानी आप के साथ साझा करगें। ये कहानी कठिन परिश्रम के महत्व को समझाता है और हमें जीवन में सफलता प्राप्ति हेतु कठिन परिश्रम करने प्रेरित करती है।तो आइये पढ़ते हैं पूरी कहानी

एक बार की बात है। एक राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था। एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी मेहमान आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार के तौर पर दिया।

राजा वह पत्थर देख बहुत खुश हुआ। उसने उस पत्थर को भगवान विष्णु की प्रतिमा का निर्माण कर उसे  राज्य के मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया और प्रतिमा निर्माण का कार्य राज्य के महामंत्री को सौंप दिया।

महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देकर बोला

महामंत्री- महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं।सात दिन के अन्दर इस  पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा तैयार कर राजमहल पहुँचा देना। इसके लिये तुम्हें पचास स्वर्ण मुद्रायें दी जायंगी।

पचास स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार खुश हो गया महामंत्री के जाने के बाद प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औजार निकाल लिये अपने औजारो में से उसनें एक हथौड़ा लिया और पत्थर तोड़ने के लिये उस पर हथौड़े से वार करने लगा। किन्तु पत्थर जस का तस रहा। मूर्तिकार ने हथौड़े के कई वार पत्थर पर किये परन्तु पत्थर नही टूटा।

पचास प्रयास करने के बाद मूर्तिकार ने अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्य से हथौड़ा उठाया किन्तु यह सोचकर हथौड़े पर प्रहार करने के पूर्व ही उसने हाथ खींच लिया कि जब पचास बार वार करने से पत्थर नही टूटा तो अब क्या टूटेगा।

वह पत्थर लेकर वापस महांत्री के पास गया और उसे यह कह वापस कर दिया कि इस पत्थर को तोड़ना मुश्किल है। इसलिये इससे भगवान विष्णु की प्रतिमा नही बन सकती।

महामंत्री को राजा आदेश को हर स्थिति में पूरा करना ही था। इसलिये उसने भगवान विष्णु की प्रतिमा निर्मित करने कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया। पत्थर लेकर मूर्तिकार ने महामंत्री के सामने ही उस पर हथौड़े से प्रहार किया और वह पत्थर एक बार में ही टूट गया।

पत्थर टूटने के बाद मूर्तिकार प्रतिमा बनाने में जुट गया। इधर महामंत्री सोचने लगा कि काश पहले मूर्तिकार ने एक अंतिम प्रयास और किया होता तो सफल हो गया होता और पचास स्वर्ण मुद्राओं का हकदार बनता।

शिक्षा(Moral of The Story)

दोस्तों, हम भी अपने जीवन में ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होते रहते हैं. कई बार किसी कार्य को करने के पूर्व या किसी समस्या के सामने आने पर उसका निराकरण करने के पूर्व ही हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है और हम प्रयास किये बिना ही हार मान लेते हैं.

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Holi ki kahani

Holi ki kahani | hindi reading stories

Holi ki kahani – Bedtime Hindi Story एक समय की बात है। एक छोटे से गाँव में रहने वाले बच्चे रोहन और सोना बहुत ही

Read More »