दोस्तो, आज हम इस पोस्ट में खुशी की तलाश एक प्रेरणादायक कहानी आप के साथ साझा करगें। मानव हमेशा खुशी की तलाश में रहता है और उसे पाना ही जिन्दगी में कई लक्ष्य निर्धारित करता है। लेकिन उन लक्ष्यों की प्राप्ति के बाद भी वह पूरी तरह से खुश नही रह पाता है उसे सदा खुशियों की ही तलाश रहती हैं यह कहानी आपको वास्तविक खुशी के मायने समझायेगी।
एक बार सृष्टि के रचना करने वाले ब्रह्माजी ने मानव के साथ के खल खेलने का फैसला किया उन्होंने खुशी को कहीं छिपा दिया ताकि मानव उसे सरलता से न पा सके। ब्रह्माजी जी ने सोचा था कि जब बहुत खोजने के बाद मानव खुशी को खोज लेंगें तब शायद वास्तव में खुश हो पायेंगे।
इसी संबंध में विचार-विर्मश के लिये उन्होने अपनी परामर्श मंडली बलायी जब परामर्श मंडली उपस्थित हुई तो ब्रह्माजी बोले
ब्रह्माजी- मैं मानवजाति के साथ एक खेल खेलना चाहता हूँ इस खेल में मैं खुशी को ऐसी जगह छिपा दूँगा जहाँ से वह उसे आसानी से न मिल सके क्योंकि आसानी से मिली खुशी की किमत इंसान नही समझता और पूरी तरह से खुल नही हो पाता अब आप कि क्या राय है मुझे बताइये मैं खुशी को कहाँ छिपाऊं।
पहला परामर्श- इसे धरती की गहराई में छिपाना सही रहेगा।
ब्रह्माजी(असहमति जताते हुये कहा)- लेकिन मानव खुदाई करके आसानी से इसे प्राप्त कर लेगा।
एक परामर्श- तो फिर इसे सागर की गहराई में छिपा देना सही रहेगा।
ब्रह्माजी- इंसान सारे सागर छान मारेगा और खुशी को सरलता से पा लेगा।
बहुत सारे परामर्श सलाहकार मंडली ने दिये लेकिन कोई भी ब्रह्माजी को अच्छा न लगा।
काफी सोचने विचारने के बाद ब्रह्माजी ने फैसला लिया जिससे परामर्श-मंडली सहमत थी वह निर्णय था कि खुशी को इंसान के अंदर ही छिपा दिया जायेगा। वहाँ उसे ढूंढने के बारे में इंसान कभी सोचता ही नही हैं लेकिन यदि उसने वहाँ खुशी ढूंढ ली तो वह अपने जीवन में सच में खुश रहेगा।
शिक्षा(Moral of The Story)–
हम कई बार खुशी को बाहर तलाशते हैं परन्तु सच्ची खुशी हमारे भीतर ही होती है और जरुरत है उसे अपने अन्दर तलाशने की।