ये बात हिमाचल के एक गांव की है जहा पर अक्सर बोला जाता था के वहाँ रात में जाना ठीक नहीं है लेकिन फिर भी कुछ लोग इन सब बातों पर विश्वास ना करके उस गांव से अक्सर गुज़रते थे
अजय – सिर्फ शाम के साढ़े सात बज रहे हैं और कितना अँधेरा हो गया है चलो उस ढाबे में कुछ खाना खा लिया जाये
औरत- कुछ खाना है तो अन्दर आ जाओ
अजय – हाँ जी, खाना मिलेगा?
तभी एक अजीब सी शकल वाला एक आदमी आता है और पूछता है
नौकर- क्या खाओगे साहब
अजय – बस एक प्लेट पुलाव कर देना मेरे लिये
नौकर- ठीक है साहब
अजय – वहा पुलाव तो बडिया हैं
औऱत- यहाँ सब कुछ बडिया ही मिलता हैं एक दम ताज़ा हां हां हां अहा
अजय को उस औरत के बोलने की तरीके से थोड़ा डर लगा पर उसने चुप रहना ही ठीक समझा
औरत- कहाँ से आये हो बेटा यहाँ नये लगते हो
अजय – हाँ हाँ बस मैं यहाँ से गुज़र रहा था बस
औरत- मगर
अजय – मगर क्या
औरत- तुम अकेले हो या कोई है साथ में
अजय – अकेला हूँ
औरत- खैर ठीक हैं
अजय – कोई तकलीफ है क्या ?
औरत- नही नही अब कुछ नही लेकिन सभल कर जाना बेटा
अजय – कोई बात है तो बताइये ऐसे डराओ मत
औरत- अब तो कोई संकट नही हैं मगर कुछ साल पहले इस जंगल से गुजरना खतरे से खाली नही था
अजय – मतलब
औरत- यहाँ से जो भी गुजरता खासकर तुम जैसे जवान खुबसूरत मर्द वो जिन्दा नही बचते थें
अजय – ये क्या कह रही हो
औरत- तुम्हे नही पता इस जंगल में वो रहती थी
अजय – कौन?
औरत- सुन्दर ओर हसीन चुड़ैल जिस पर स्त्री फिल्म भी बनी है हां हां हां अहा
अजय – ये क्या बकवास हैं
औरत- तुम्हे विश्वास नही हो रहा तो फिर सुनो वो कौन थी कहाँ से आई थी क्या चाहती थी किसी को नही पता था किसी ने उसे देखा भी नही था लेकिन कहते हैं कि वो एक चुड़ैल थी उसके पैर उल्टे थे और वो जंगल में छिपकर रहती थी जब कोई जवान मर्द इस जंगल से अकेले गुजरता तब वो बाहर निकलती थी एक बहुत ही खूबसुरत औरत के रुप में वो बेचारा मर्द उस औरत के झाँसे में आ जाता वो उस मर्द को लल्चा कर झाडियों में ले जाती और वहाँ वो अपने असली रुप में आ जाती कहते हैं बहुत ही भयानक था वो रुप लाल लाल आँखे चमड़े जैसी खाल रस्सीयों जिनते जाड़े बाल और वो ऐसी दहाड़ निकालती थी कि वो बेचारा आदमी बेहोश ही हो जाता और फिर वो उसका खून पीकर मार डालती
अजय – वाह आंटी कहानी तो बड़ी अच्छी हैं मगर मैं डरने वाला नही
औरत- पागल हो तुम खैर अब डरने की कोई वजह भी नही हैं
अजय – वो क्यों ?
औरत- क्योंकि वो चुड़ैल अब नही हैं
अजय – क्या हुआ उसे ?
औरत- मैं उस चुड़ैल को खत्म कर दिया
अजय – आप ने कैसे?
औरत- जाने दो तुम यकिन नही करोगे बेटा
अजय – अरे बताइये तो माई
औरत- ठीक है, एक दिन इसी ढाबे में एक पीर बाबा आये थे उसके पास थी एक जादुई बोतल उनके पास खाने के पैसे नही थे तो जाते वक्त वो ये बोतल मुझे दे गये और बोले
तपस्वी- तुम ने हमारी सेवा की हमारी दावत कराई पर हमारे पास तुम्हे देने के पैसे नही हैं मगर ये जादुई बोतल रख लो इसमें तुम जिसे चाहो बंदी बना के रख सकती हो फिर वो किसी भी आकार का क्यों ना हो चाहो तो एक हाथी को भी चूहा बना कर इसमें कैद कर सकती हो
औरत- फिर क्या था मैं वही बोतल लेकर जंगल में गई और उस मनहूस चुड़ैल को ढुँढ निकाला उसके सामने मैंने बोतल का ढक्कन खोल दिया और वो चुड़ैल एक पत्ते की तरह काँपती हुई एक चिड़िया जितनी छोटी बन गयी और उस बोतल मे घुस गई
अजय – मतलब उस ढके हुए बोतल में चुड़ैल हैं
औरत- हाँ बिल्कुल
अजय – वो तो हिल रही हैं
औरत- हा हा हा हा क्यों नही उसमें चुड़ैल जो कैद हैं ठीक है तुम खाना खालो मैं जरा गाय को चारा देकर आती हूँ और डरो नही वो चुड़ैल पुरी तरह से कैद है वहाँ अन्दर
अजय – ओह उसमें सचमे कुछ हैं कही वो बुढिया सच तो नही बोल रही
अउउउउउउ(भयानक स्वर)
अजय – नही ये कैसी आवाज आ रही है ?
तभी अचानक बोतल से आवाज आती है- बचा लो बाहर निकालो मुक्ति दे दो
अजय – नही मैं यहाँ नही रुक सकता मुझे यहाँ से जाना चाहिये
बोतल – खोल दो आजाद कर दो
अजय – एक बार देख लेना चाहिये देखे बिना कैसे जा सकता हूँ मैं
बोतल – हाँ तुम सही कर रहे हो आ जाओ हमारे पास हमें आजाद कर दो
अजय – ये ये क्या हैं हमे बचा लो ढक्कन खोल दो
बोतल – हमें बचा लो ढक्कन खोल दो
अजय – तुम तुम चुड़ैल नही, तुम कौन हो?
बोतल – हम वो सब लोग है जिसे चुड़ैल ने खून पीकर इस बोतल में कैद कर रखा हैं वो हर रात आती है और हमारा खून पी जाती हैं आप जल्दी ही हमे यहाँ से निकाल लो
आदमी- पता नही लेकिन
बोतल – सोचो मत हमारे पास वक्त नही हैं खोल दो बोतल का ढक्कन
आदमी बोतल का ढक्कन खोल देता हैं
बोतल से निकल कर एक आदमी कहता है- शुक्रिया बहुत बहुत शुक्रिया तुमने हमारी जान बचा दी
अजय – मगर फिर चुड़ैल कौन हैं?
औरत- मैं हूँ चुड़ैल हा हा हा हा हा
अजय – नही नही नही
औरत- तुमने मेरा सारे कैदी आजाद कर दिये पर कोई बात नही तुम जो हो हट्टे कट्टे तंदुरुस्त अब से तुम ही मेरा नाश्ता होगे और तुम ही मेरे रात का खाना हीयेहाहाहाहा
अजय – नही आजाद कर दो मुझे आजाद कर दो
औरत- अब तुम्हे कोई आजाद नही कर सकता कोई नही समझे हीये हाहाहाहाहाहा