हरु एक कपड़ा बनाने वाला था। वह सूत से कपड़े बनाता था और उन्हें नगरों तथा नगरों के बाजारों में बेचकर जीविकोपार्जन करता था। एक दिन वह एक ऐसे नगर में गया जो उसके गाँव से बहुत दूर था। देर रात जब वह शहर से घर लौट रहा था। रास्ते में उसने देखा कि कुछ चूहे एक चींटी के टीले को नष्ट कर रहे हैं।
वह उदार था इसलिए उसने कृन्तकों पर पानी छिड़क कर चींटियों को उन कृन्तकों से बचाया। वह घर पहुंचा और सो गया। जब वह सुबह उठा तो उसने देखा कि उसके घर में नए बुने हुए कपड़े हैं। इतना सुन्दर बुना हुआ कपड़ा उसने पहले कभी नहीं देखा था और सूत रेशम से भी कोमल था।
वह जानता था कि वह उन्हें न तो लाया था और न ही बुना था। लेकिन वे उसके घर में ही मिल गए तो उसने उन्हें बाजार में बेच दिया। उस दिन उसने सामान्य से अधिक धन कमाया। उन खास कपड़ों की हर किसी ने डिमांड की थी।
अगली सुबह जब वह उठा तो उसने फिर अपने घर में विशेष कपड़ों का एक नया बंडल पाया।
वह सोच रहा था कि कौन इतने सुन्दर कपड़े बनाकर मेरे घर में रख देता है। उसने कपड़े बेचे। वह अपने सुन्दर वस्त्रों और उत्तम कोटि के वस्त्रों के कारण प्रसिद्ध हुआ। उस रात उसने निश्चय किया कि वह उन सुंदर वस्त्रों के स्रोत का पता लगाएगा।
उसने अभिनय किया जैसे वह सो रहा था लेकिन वह सब कुछ देख रहा था। उसने देखा कि उसके द्वारा बचाई गई चींटियाँ उसके घर में एक दरार से प्रकट हुईं और वे कपड़े बनाने लगीं।
उसने उनसे पूछा, “तुम ये कपड़े क्यों बना रहे हो”। रानी चींटी ने उत्तर दिया, “हम इसे तुम्हारे लिए बना रहे हैं।“
“आपने हमारे घर को बचाया इसलिए हम आपके प्रति कृतज्ञता के रूप में आपके लिए ये कपड़े बना रहे हैं।” रानी ने हरु से कहा। “यह मेरा काम है कि मैं आपको बचाऊं।” हारु ने रानी से कहा। “पर हमको आपके लिए यह काम करने दो”। रानी ने हरु से कहा। इस सबके बाद हरु बढ़िया कपड़े बेचकर हरू अमीर बन गया।