एक बस्ती में एक छोटा सा घर था जहा पर एक गरीब परिवार रहता था। परिवार में सिर्फ दो लोग ही थे एक माँ और एक उसका बेटा । घर का खर्चा चलने के लिए सावित्री घर का काम किया करती थी जिसकी वजह से उनके घर का खर्च निकलता था।
अजय की माँ– अरे अजय बेटा तू आ गया मैं तेरा ही इन्तजार कर रही थी
रोहित- माँ आप कहाँ जा रहे हो?
अजय की माँ– बेटा मैं काम पे जा रही हूँ
रोहित- माँ मैं आप से कुछ पुँछू?
अजय की माँ– हाँ, बेटा पूछ ना क्या पूछना हैं तूझे
रोहित- आज रक्षाबन्धन हैं पर मेरी तो कोई बहन हैं ही नही मैं किसको राखी बाँधू
अजय की माँ– बस इतनी सी बात तू इतनी बात उदास हो रहा हैं एक काम कर तू आज मेरे साथ चल काम पे मेम साहब की बेटी हैं ना सोनिया उससे राखी बँधवा लेना
रोहित- सच्ची माँ मेरी भी बहन होगी अब
अजय की माँ– हाँ बेटा अब चल वरना हमे लेट हो जायेगा, चल
वह लोग बस्ती से निकल कर पैदल चल कर शहर तक जाते है और उस घर तक पहुँच जाते है जहाँ पर सावित्री रोज़ काम पर जाया करती थी
घर पॅहुचते ही उस घर में रहने वाली एक छोटी लड़की सावित्री से पूछती है
सोनिया – अरे सावित्री आन्टी ये कौन है आपके साथ
अजय की माँ– अरे सोनिया बेटा ये मेरा बेटा अजय हैं
सोनिया – ठीक हैं हूम्म
अजय की माँ– अजय बेटा तू यहाँ बैठ मैं सारा काम कर लेती हूँ और फिर सोनिया को बोल के तूझे राखी भी बँधवा दूँगी ठीक हैं … चल
रोहित(सोनिया को देखकर सोचते हूए)- क्या ये मुझे राखी बाँधेगी मुझे तो नही लगता पर माँ ने कहा हैं शायद बाँध भी दे
सोनिया -अरे ऐसे क्या देख रहा हैं मुझे टीवी चल रही हैं तो चुपचाप टीवी देख ना
सोनिया – अरे तेरी हिम्मत कैसे हूई मेरे रुम मे आने की
रोहित- मैं तो बस तुम से ये राखी बँधवाने आया था
सोनिया – तुमने सोच कैसे लिया मैं तुम्हे राखी बाँधूगी, तुम जैसा गरीब मेरा भाई कभी नही हो सकता
अजय दुखी होता हुआ
सोनिया – अब जाओ यहाँ से आ जाते हैं मुँह उठाकर
अजय चला जाता हैं
सोनिया की माँ- ये सोनिया गरीब और अमीर कब से करने लगी
सोनिया की माँ(सोनिया से)- सोनिया बेटा
सोनिया – हाँ मम्मा
सोनिया की माँ( सोनिया से) – सोनिया बेटा मैं कब से देख रही हूँ आप अजय से कैसा र्बताव कर रही हो
सोनिया – पर मम्मा वो मुझसे राखी बँधने को बोल रहा था
सोनिया की माँ- हाँ तो क्या गलत बोल रहा थाऔर आप अगर अजय को राखी बाँध दोगे तो इसमे क्या गलत हो जायेगा और मुझे तो ये समझ नही आ रहा हैं कि कब से अमीर और गरीब करने लगे मैं ने तो कभी सावित्री के साथ ऐसा र्बताव नही किया तो आप मे ये विचार कैसे और कहाँ से आये, अच्छा मुझे ये बतावो क्या गरीब इन्सान नही हैं, क्या गरीब को कोई त्योहार मनाने का हक नही हैं और अजय आप के पास कितनी आश से राखी बँधवाने आया था और आप ने क्या किया बेटा मुझे आप से ये उम्मीद नही थी
सोनिया – मम्मा आई एम सॉरी मैने अजय के साथ बिल्कुल ठीक नही किया वो मुझे राखी बँधवाने और मैंने उसको बहुत कुछ सुना दिया मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी एम सॉरी
सोनिया की माँ- सॉरी मुझसे नही अजय से माँगो और उसे राखी भी बाँधो
सोनिया – हाँ, मम्मा
अजय की माँ– मेम साहब मैं सारा काम कर दिया हैं अब हम चलते हैं
सोनिया की माँ- ठीक हैं
सोनिया – अजय भईया, मुझसे राखी बँधवा के नही जाओगे
रोहित(सोनिया से) – पर तुम ने तो कहा
सोनिया – एम सॉरी अजय भईया मैं आपको कुछ बहुत बुरा भला सुना दिया
रोहित- कोई बात नही तुम माफी मत माँगो
सोनिया – तुम मुझसे राखी बँधवोगे ना
रोहित- हाँ
सोनिया अजय को राखी बँधती हैं
सोनिया – हैप्पी रक्षाबन्धन
सब खुश होते हैं