बहुत पहले की बात है एक गाँव में गोपाल नाम का आदमी रहा करता था वो खिलौने बनाया करता था उसके खिलौने लोग ज्यादा पसन्द नहीं करते थे। गोपाल रोज नये खिलौने बनाता और बाजार जाकर खिलौने बेचता। मगर बड़ी मुश्किल से गोपाल एक खिलौना बेच पाता था। एकदिन गोपाल का पड़ोसी जीवन उसके पास आकर कहा-
जीवन – अरे गोपाल आज तो तुम्हारे खिलौने वैसे के वैसे ही है।
गोपाल – हाँ जीवन भाई मेरे खिलौने बिक ही नहीं रहे है।
जीवन – अरे गोपाल भाई मैंने ही तुम्हारे खिलौने ले लिये होते मगर मेरा धंधा आज कुछ खास नहीं चला, नहीं तो मैं तुमसे खिलौने जरूर खरीद लेता।
गोपाल – जीवन भाई तुमने पूछा यही बहुत है मेरे लिए।
जीवन – चलो घर चलते है गोपाल ।
गोपाल – जीवन भाई दो दिन से कुछ खाया भी नहीं है। इस जालिम पेट के लिए कुछ न कुछ तो बेचना पड़ेगा।
जीवन – हां भाई तुम बेचो मैं चलता हूँ।
ऐसा कह कर जीवन चला गया। अब गोपाल खिलौने बेचने लगा। थोड़ी देर में एक औरत और बच्ची गोपाल के पास आकर पूछने लगी कि ये गुड़िया कितने की है
गोपाल – ये गुड़िया 20 रुपये की है बहन। घर जाने का समय हो गया है कुछ कम करके खिलौने दे दो अब घर जाने का समय हो गया है।
औरत – खिलौने उतने अच्छे नहीं है
गोपाल – एक काम कीजिए ये खिलौने 15 रुपये में ले लीजिए। इससे कम तो नहीं आयेगा।
औरत – नहीं भईया ये खिलौना 10 रुपये में देना है तो दो, मैं इससे 1 रुपया भी ज्यादा नहीं दूंगी।
गोपाल – ठीक है ये लो गुड़िया
औरत ने 10 रुपये देकर वो खिलौना खरीदा और वहाँ से चली गयी। गोपाल को दिन भर के कमाई में 10 रुपये ही मिले थे इसलिए गोपाल थोड़ा नाराज था। शाम हो जाने के कारण गोपाल जल्द ही निकल गया। गोपाल अपनी टोकरी उठाकर घर जाने के लिए जल्द निकलता है। शाम होने के कारण वह जंगल के रास्ते से घर जाने लगा। वो सोच रहा था कि सारे दिन का कमाई 10 रुपये हे भगवान क्या होगा। वह जंगल के रास्ते से घर कभी कभी जाया करता था इसलिए उसे डर नहीं लगा। गोपाल एक पेड़ के नीचे से जा रहा था तभी उसे किसी की आवाज सुनाई दी गोपाल गोपाल गोपाल रास्ते में फिर से जाने लगा। गोपाल गोपाल आवाज आई।
गोपाल – कौन है। किसने आवाज लगाई।
तभी गोपाल को पेड़ के नीचे एक औरत दिखाई देती है।
गोपाल – आप कौन है और इतने रात को इस घने जंगल में क्या कर रही हो।
रानी – मेरा नाम रानी है मुझे मेरे घरवालों ने घर से बाहर निकाला है इसीलिए मैं यहाँ बैठी हुई हूँ।
गोपाल – रानी जी इतनी रात इस घने जंगल में रहना ठीक नहीं है आप को ठीक लगे तो आप मेरे साथ मेरे घर चल सकती है।
रानी – ठीक है मैं आपके साथ आपके घर आऊँगी।
ऐसा कह कर रानी उसके पीछे-पीछे उसके घर जाने लगी। गोपाल को पता ही नहीं था जिसे वह घर लेकर जा रहा था वह एक चुड़ैल है। कुछ समय बाद गोपाल रानी को लेकर घर चला गया।
गोपाल – मेरे इस छोटी सी कुटिया में आप जहाँ चाहे वहाँ रह सकती है। इस घर में कुछ भी नहीं है मैं आपको खाना भी नहीं दे सकता। क्योंकि दो दिन से मेरा एक भी खिलौना नहीं बीका। आज सिर्फ एक ही खिलौना बीका है उस 10 रुपये से चने लेकर आया हूँ। इसमें से आप थोड़े खा लीजिए थोड़े मैं खा लेता हूँ।
ऐसा कहकर रानी और गोपाल चने खा कर सो जाते है। रानी रात होने के कारण थोड़े देर सो कर उठती है और वह अपने चुड़ैल के रूप में आ जाती है। वह घर में जाकर देखती है घर में कुछ भी खाने की चीज नहीं होती। वो दो डिब्बों में अपने जादु से कुछ सामान भर देती है। और घर के बाहर जाकर अपने जादू से बहुत सुन्दर खिलौने बनाती है। खिलौने बन जाने के बाद वह वापस जाकर सो जाती है। सुबह होने से पहले रानी गोपाल से पहले ही उठ जाती है। वह घर के सारे काम करने लगती है। थोड़ी देर में गोपाल उठता है। वह बाहर मिट्टी के खिलौने देख बहुत खुश हो जाता है। और
गोपाल – किसने इतने सुन्दर खिलौने बनाये मैंने तो आज तक इतने सुन्दर खिलौने नहीं बनाए। रानी – गोपाल जी खिलौने अच्छे लगे। मैंने बनाये है बहुत सुन्दर खिलौने है
गोपाल – रानी जी इतने सुन्दर खिलौने बनाना आपने कहा से सीखा है
रानी – गोपाल जी मैं घर में खिलौने बनाया करती थी।
गोपाल – चलो मैं इसे बाजार में बेचकर आता हूँ तब तक तुम कही मत जाना।
रानी – मैं यही रुकुंगी। आप चिन्ता मत कीजिए।
ऐसा कह कर गोपाल खिलौने टोकरी में भर बाजार बेचने चला जाता है। बाजार जाते ही उसके टोकरी में इतने सुन्दर खिलौने देखकर लोग आ¶चर्य चकित हो जाते है। और इसके पास लोग आकर खिलौने खरीदने लगते है। उस दिन गोपाल अच्छी कमाई कर लेता है। घर लौटते समय गोपाल कुछ राशन खरीदने लगता है। घर पर आते ही गोपाल रानी को राशन देता है
रानी – पर घर में कुछ राशन था तो मैंने उससे खाना बना लिया,
गोपाल सोचने लगता है के घर पर तो खाने को कुछ भी नहीं था! रानी गोपाल को ले जाकर डिब्बे मे राशन दिखाती है ।
रानी – आप हाथ मुँह धो लीजिए मैं खाना लगा देती हूँ।
गोपाल खाना खा कर रानी के खाने की काफी तारीफ करता है । गोपाल के खाने के बाद रानी खाना खा लेती है। जीवन सुबह बाजार में गोपाल को नये नये खिलौने लाता देख कर कहता है इतने सुन्दर खिलौने गोपाल कहाँ से लाता है जरूर दाल में कुछ काला है और वह सोचने लगता है। और सोचता है के इस बात का पता करना पड़ेगा।
जीवन रात में गोपाल के घर के बाहर सो जाता है। आधी रात में जीवन को कुछ शब्द सुनाई देते है जीवन गोपाल के घर में खिड़की से झांक कर देखता है कि एक चुड़ैल अपने जादू से नये नये खिलौने बना रही है। जीवन डर जाता है। और वहाँ से भागकर अपने घर चला जाता है। सुबह वह देखता है कि गोपाल सुन्दर खिलौने लेकर बाजार जा रहा है। जीवन गाँव के सरपंच को सबकुछ बता देता है। सरपंच और गाँव के लोग शिव बाबा के पास जाकर उस चुड़ैल के बारे में सबकुछ बता देते है। बाबा सबको लेकर गोपाल के घर जाते है और उस औरत को कहते है कि तुम कौन हो बताओ। वह औरत कहती है मेरे ऊपर एक चुड़ैल का साया है जिस दिन मेरी शादी होगी वह चुड़ैल मेरा शरीर त्याग देगी। और मैं उस चुड़ैल से आजाद हो जाऊँगी। बाबा और गाँव के लोग उस औरत का विवाह गोपाल से कर देते है। और वह औरत चुड़ैल की साया से आजाद हो जाती है। और वो दोनों खुशी खुशी जीवन व्यतीत करने लगते
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