एक गांव में सोनू और सुनीता नाम के भाई बहन रहा करते थे। जब छोटे थे तभी उनके माता पिता का देहान्त हो गया था। तब से सोनू और सुनीता अनाथ की जिन्दगी जी रहे थे। सोनू सुनीता का बहुत ख्याल रखता था उनके माता पिता बहुत गरीब थे इस कारण उनके पास घर नहीं था सोनू अपनी बहन के साथ फुटपाथ पर रहा करता था। सोनू काम करके अपना और अपनी बहन का पेट भरा करता था। एक दिन सोनू गाड़ी साफ कर रहा था तभी
गाड़ी का मालिक – अरे ये कैसी गाड़ी साफ किया है तुमने, ऐसे गाड़ी साफ किया जाता है क्या, सोनू – मालिक मैं फिर से साफ कर देता हूँ मुझे जल्दी जाना है।
गाड़ी का मालिक – ये लो 2 रुपये।
सोनू – मालिक थोड़े ज्यादा मिल जाते तो अच्छा होता।
गाड़ी का मालिक – जैसा गाड़ी साफ किया है वैसा पैसा मिलेगा।
ये कह कर गाड़ी का मालिक गाड़ी लेकर चला जाता है।
सोनू – मुझे दूसरा काम देखना पड़ेगा नहीं तो हम दोनों भाई बहन भूखों मर जायेंगे।
सोनू ने सोचा इससे काम नहीं चलेगा, कोई दूसरा काम देखना होगा। फिर वो दोनों एक होटल में काम माँगने जाते है। पर उस होटल का मालिक उनसे कहता है
अभी कोई काम नहीं है। हाँ बरतन माजने का काम है क्या तुम कर पायोगे?
और वो दोनों 20 रुपये में वो काम करने के लिए राजी हो जाते है काम खत्म होने पर होटल का मालिक उसे 20 रुपये देकर कहता है कि उस होटल में बहुत सारा भोजन बच गया है क्या तुम लोग खावोगे। वो दोनों राजी हो जाते है। सोनू और सुनीता बड़े प्यार से भोजन करते है और होटल के मालिक को धन्यवाद देकर चले जाते है। फिर रास्ते में एक आदमी मिलता है वो कहता है कि ये सामान स्टेशन तक पहुँचाना है क्या तुम लोग कर पावोगे, सोनू तुरन्त तैयार हो जाता है। सुनीता वही फुटपाथ पर सोनू के आने का इंतज़ार करती है और सोनू सामान स्टेशन तक पहुँचाता है। तब तक दोपहर हो जाती है। और सामान का मालिक उसे पैसे दे देता है। स्टेशन पर दो कपल दिखाई देते है और उनके पास एक छोटी बच्ची थी वो कुछ खाने के लिए जिद कर रही थी। औरत बच्ची की जिद पुरा करने के लिए उसे चिप्स खरीदकर देती है और उस बच्ची के हाथ में जो रोटी थी उसे फेंक देती है ।
सोनू – जिसे भूख लगी है भगवान से नहीं देता और जिसके पास सब कुछ है उसे उसकी कदर नहीं होती।
ऐसा सोच कर सोनू वहाँ से चला जाता है तभी सोनू को उसकी बहन की याद आती है और वह उसके लिए कुछ खाने की चीजे खरीदने लगता है। और सोनू सामान खरीद कर चल पड़ता है तभी एक गाड़ी बहुत तेज उस रास्ते से आती है और सोनू से टकरा जाती है सोनू बेहोश हो जाता है। जब उसे होश आती है तो वो हॉस्पिटल में होता है और उसके सामने सूरज नाम का आदमी खड़ा मिलता है। सोनू उस आदमी से पूछा कि
सोनू – मैं एक गाड़ी से टकराया फिर मैं अस्पताल में कैसे आया।
सूरज – वो गाड़ी मेरी ही थी मेरी वजह से आज तुम्हारा यह हाल हुआ है। तुम चिन्ता मत करो मैं अस्पताल का बिल भर दूँगा।
तभी सोनू ने देखा कि उसका पैर नहीं है। सूरज ने कहा कि अब वो बैशाखी से चल पायेगा तो वह जोर जोर से रोने लगा। सूरज ने कहा कि चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देता हूँ सोनू ने कहा-
सोनू – मेरा कोई घर नहीं है साहब।
सूरज -फिर तुम कहा रहते हो।
सोनू – हम तो फुटपाथ पर रहते है साहब।
सूरज – अच्छा चलो मैं तुम्हें तुम्हारी बहन के पास छोड़ देता हूँ। सोनू अपनी बहन के पास चला जाता है सोनू को पता था कि उसकी बहन कहा होगी।
सोनू – साहब आप मुझे मन्दिर तक छोड़ दीजिए, मुझे पता है मेरी बहन मन्दिर में होगी।
सूरज वहाँ से चला जाता है। सुनीता सोनू को देखकर बहुत रोने लगती है।
सुनीता – भगवान ऐसा क्यों करता है ?
ऐसा कहकर सुनीता रोने लगती है। तभी सोनू सुनीता से कहता है ऐसा कुछ नहीं है भगवान के घर देर है अन्धेर नहीं है। सुनीता और सोनू वहाँ कुछ खाना खाते है। सोनू अपनी बहन सुनीता से कहता है कि अब उससे कोई काम नहीं हो पायेगा।
सोनू – अब हमलोग मन्दिर के बाहर भिख माँगा करेगें उससे गुजारा हो जायेगा।
सुनीता – ठीक है।
अब सोनू और सुनीता मन्दिर में उस रोज से भिख मांगते थे। अब ऐसे ही बहुत दिन बीत जाते है। कोई उन्हें पैसे देता था तो कोई उन्हें खाने की चीजे दिया करता था अब ऐसे ही उन
दोनों की दिन बीत रहे थे। तभी एकदिन एक आलीशान गाड़ी मन्दिर के सामने आकर रुकी और उसमें से औरत बाहर आयी वो मन्दिर में पूजा करने के लिए चली जाती है थोड़ी देर बाद वो औरत मन्दिर के बाहर आ जाती है। तभी उसकी नजरे सोनू और सुनीता पर पड़ती है। उन्हें देखकर वो अपने वैग में से रोटी निकालकर उनके सामने फेंकती है तभी सुनीता गुस्से में उस औरत से कहती है
सुनीता – मैडम आपको रोटी देनी है तो हाथ में दो ऐसे फेंको मत। ऐसे फेंकने से रोटी खाने के लायक नहीं रहेगी।
औरत – मुझे मत सीखाओ कि मुझे क्या करना है क्या नहीं। मुझे लगा कि मैं हाथ में दूंगी या फेंक दूगी।
सुनीता – मैडम जी इतना घमण्ड अच्छा नहीं।
औरत – तू मुझे समझायेगी कि मुझे कितना घमण्ड है रूक मैं अभी बताती हूँ तू इतनी सी है ऐसा कहकर वो औरत सुनीता को मारने लगी। और बहुत जोर जोर से मारने लगी। तभी सोनू बीच में आकर कहता है
सोनू – मैडम सुनीता को मत मारये इसके तरफ से मैं माफी माँगता हूँ आपने रोटी जमीन पर फेंका इसलिए सुनीता आपसे यह बात कही। इसमें सुनीता की कोई गलती नहीं है।
औरत – तुम समझदार लगते हो,
सोनू – मैडम यह गाड़ी से मेरे पैर का एक्सीडेन्ट हुआ था और तब से मैं अपाहिज हूँ यह सुनते ही मैडम बहुत दु:खी हुई और कहने लगी-
औरत – मेरे पति ने मुझे बताया था कि उनकी गाड़ी से किसी बच्चे का एक्सिडेन्ट हो गया है। अच्छा वो तुम ही हो। मुझे क्षमा कर दो मैं तुम लोगों के ऊपर बहुत गलत व्यवहार किया। हमारी कोई औलाद नहीं है और मेरे पति को तुम्हारे पैर के कट जाने का गम इतना सताया के वह इस दुःख को सेहन नहीं कर पाए और इस दुनिया से चल बसे उन्होंने तुम्हे ढूंढ़ने की काफी कोशिश की लेकिन तुम नहीं मिले उन्होंने मुझ से वादा लिया था के अगर तुम कभी मिले तो उनको अपने बच्चों की तरह अपने पास ही रखना तुम दोनों मेरे साथ मेरे घर चलो, वो दोनों उनके साथ जाने के लिए तैयार हो गये।
अब वो दोनों उस घर में बहुत खुशी खुशी रहते है। वो औरत भी उन्हें अपने बच्चों की तरह पाला करती है। वो दोनों वहाँ बहुत खुश है। गरीब का भूख बहुत अलग होती है ऐसे ही अमीर लोगों की भूख अलग होती है। उनके प्रयाप्त भोजन होने के कारण वो फेंक देते है। मगर गरीब को भूख लगे तो उन्हें खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी नहीं मिलती। इसी वजह से गरीब और अमीर लोगों की भूख अलग अलग होती है। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि गरीब होने के कारण उन्हें कष्ट नहीं देना चाहिए। गरीबों की हमेशा सहायता करनी चाहिए।